वडोदरा: चुनाव की आहट के बीच गुजरात के वडोदरा शहर में दिवाली की रात अचानक हिंसा फैल गई। आधी रात को हुई इस घटना के बाद मंगलवार सुबह तक पुलिस ने मामले में 19 आरोपियों को हिरासत में लिया है और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अन्य उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। बताया जा रहा है कि शहर के पानीगेट इलाके में सोमवार देर रात दो गुटों में झड़प शुरू हुई। पुलिस ने कहा कि आमने-सामने पटाखे जलाने और रॉकेट छोड़ने को लेकर विवाद की शुरुआत हुई।
उपद्रवियों ने फेंके पेट्रोल बम
हिंसा के दौरान उपद्रवियों द्वारा पेट्रोल बम फेंके जाने की भी बात सामने आई है। बदमाश स्ट्रीट लाइट बुझाकर बवाल कर रहे थे। डीसीपी यशपाल जगनिया ने बताया कि पानीगेट में मुस्लिम मेडिकल सेंटर के पास पथराव की घटना हुई। इसके बाद पुलिस तुरंत मौके पर पहुंच गई और स्थिति को कुछ देर में नियंत्रण में ले लिया गया। सीसीटीवी की जांच की जा रही है और चश्मदीदों से पूछताछ भी की जा रही है।
वहीं, न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार यशपाल जगनिया ने बताया कि हिरासत में लिये गये लोगों में एक व्यक्ति शामिल है जिसने कथित रूप से संघर्ष शुरू होने के करीब एक घंटे बाद तीसरी मंजिल के एक घर से एक पुलिसकर्मी पर बम फेंका था। अधिकारी के अनुसार घटना में कोई घायल नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि एक रॉकेट के गिरने से इलाके में खड़ी एक मोटरसाइकिल में आग लग गयी थी।
उन्होंने कहा, 'पटाखे चलाने और एक दूसरे पर रॉकेट बम फेंकने को लेकर पैदा विवाद के बाद दोनों पक्षों के लोगों ने एक दूसरे पर पथराव शुरू कर दिया।' अधिकारी ने कहा कि घटना के बाद इलाके में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है और हालात काबू में हैं। उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों के संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है।
अगस्त में भी पानीगेट इलाके में हुई थी हिंसा
इससे पहले इसी साल अगस्त में वडोदरा के पानीगेट इलाके में भगवान गणेश की शोभायात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प की घटना सामने आई थी। सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मांडवी इलाके में पानीगेट दरवाजे से रात करीब 11 बजकर 15 मिनट पर शोभायात्रा गुजर रही थी, तभी अचानक किसी मुद्दे पर दोनों समुदाय के लोगों में कहासुनी हो गई और दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर पथराव करना शुरू कर दिया था।
इसके अलावा इसी महीने की तीन तारीख को भी वडोदरा में हिंसा की खबरें आई थी। यह हिंसा शहर के सावली टाउन के मार्केट में हुआ था। एक मंदिर के पास बिजली के खंभे में दूसरे धर्म का झंडा लगाने के बाद ये विवाद शुरू हुआ था।