स्वास्थ्यकर्मियों का टीकाकरण : उत्पीड़न से लेकर सबसे पहले टीका लगवाने तक का सुखद अहसास

By भाषा | Published: January 16, 2021 09:00 PM2021-01-16T21:00:10+5:302021-01-16T21:00:10+5:30

Vaccination of health workers: a pleasant feeling from persecution to first vaccination | स्वास्थ्यकर्मियों का टीकाकरण : उत्पीड़न से लेकर सबसे पहले टीका लगवाने तक का सुखद अहसास

स्वास्थ्यकर्मियों का टीकाकरण : उत्पीड़न से लेकर सबसे पहले टीका लगवाने तक का सुखद अहसास

(कुणाल दत्त)

नयी दिल्ली, 16 जनवरी लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में शनिवार को कोविड-19 का पहला टीका लगवाने वाली नर्स बिजी टॉमी के लिए यह ‘‘ऐतिहासिक क्षण’’ था क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के शुरुआती दिनों में उन्हें और उनके साथियों का उत्पीड़न किया जाता था और उन पर ताना मारते हुए उन्हें ‘‘कोरोना वायरस का संभावित वाहक’’ तक कहा जाता था।

केरल की रहने वाली 48 वर्षीय स्वास्थ्यकर्मी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जब मार्च में दिल्ली में महामारी फैली, तो हर कोई भविष्य को लेकर आशंकित था और कई डॉक्टरों एवं नर्सों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता था और शुरुआती दिनों में पड़ोसी उन्हें ‘संक्रमण का संभावित वाहक’ कहते हुए ताना मारा करते थे और कुछ मकान मालिकों ने उन्हें अपने मकान से निकालने तक की धमकी दी थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आज हमें प्रशंसा मिल रही है और लोग स्वास्थ्यकर्मियों की प्रशंसा कर रहे हैं। यह हमारे लिए यादगार पल है।’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किए जाने के बाद दिल्ली में 81 स्थानों पर डॉक्टरों एवं सफाईकर्मियों सहित सैकड़ों लोगों को टीका लगाया गया।

केरल के इडुक्की जिले की रहने वाली टॉमी ने कहा, ‘‘वायरस जब हमारे महानगरों और हमारे देश में आया था तो हम केवल अपना कार्य करने का प्रयास कर रहे थे। हम अपराधी नहीं थे कि हमारे साथी भाई-बहनों को अपमानित किया गया। लेकिन आज बहुत सुखद अहसास हो रहा है। लोग समझ गए हैं कि हम अपने जीवन को खतरे में डालकर दूसरों का जीवन बचाने का प्रयास कर रहे हैं।’’

दिल्ली में पिछले साल एक मार्च को कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आने के बाद से कई डॉक्टरों, नर्सों, सफाईकर्मियों और अग्रिम मोर्चे के कर्मियों की जान जा चुकी है।

केजरीवाल की मौजूदगी में नर्स आत्मजा को कोविशील्ड का पहला डोज आज दोपहर में दिया गया।

अस्पताल के टीकाकरण केंद्र में टीका लगाने के बाद लाभार्थियों को गुलाब का फूल देकर उनका स्वागत किया गया।

आधे घंटे तक तक आवश्यक निगरानी में रखे जाने के बाद जब वे टीकाकरण केंद्र से बाहर निकले, तो उनके सहकर्मियों और टीकाकरण टीम के कर्मचारियों ने ताली बजाकर उनका उत्साहवर्द्धन किया।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले वर्ष इतनी कठिनाइयां सहने और मौतें होने तथा महामारी से देश के लड़ने के बाद गौरव और खुशी की अनुभूति होना स्वाभाविक है।’’

फराह हुसैन को महामारी के चरम पर होने के दौरान आईसीयू में काफी संख्या में रोगियों के मरने की बात अब भी याद है और उन्होंने उम्मीद जताई कि टीकाकरण अभियान से शेष आबादी के लिए सुरक्षा कवच तैयार होगा।

एलएनजेपी अस्पताल में नर्स टॉमी को जहां पहला टीका लगा वहीं केंद्रीय जिला कार्यक्रम अधिकारी पुनीत जेटली टीका लगवाने वाले दूसरे व्यक्ति रहे।

एलएनजेपी अस्पताल के प्रशासनिक विभाग में काम करने वाले नवीन कुमार ने भी टीका लगवाया और कहा कि ‘‘उन्हें सुखद अहसास’’ हो रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस महामारी के चरम पर होने के दौरान मैं यहां पीपीई किट पहनकर काम करता था और यह काफी कठिन था। समाज हमें संक्रमण के संभावित वाहक के तौर पर देखता है और बुराड़ी में मेरे पड़ोस में कुछ समय तक निरूद्ध क्षेत्र रहा।

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Web Title: Vaccination of health workers: a pleasant feeling from persecution to first vaccination

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