उत्तराखंड सरकार शराब पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में कदम उठाएः हाईकोर्ट

By भाषा | Published: August 30, 2019 03:00 PM2019-08-30T15:00:29+5:302019-08-30T15:19:18+5:30

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को शराब पर क्रमिक रूप से प्रतिबंध लगाने के लिये नीतिगत निर्णय लेने के निर्देश दिये।

Uttarakhand government takes steps towards ban on alcohol: High Court | उत्तराखंड सरकार शराब पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में कदम उठाएः हाईकोर्ट

याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आबकारी कानून, 1910 को 1978 में 37 ए के जरिये संशोधित किया था।

Highlightsयाचिकाकर्ता डीके जोशी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने इसके लिये राज्य सरकार को छह माह का समय दिया है।याचिका में दलील दी गयी थी कि सरकार के संरक्षण में बेची जा रही शराब प्रदेश में जिंदगियों को प्रभावित कर रही है।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से प्रदेश में शराब पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में कदम उठाने को कहा है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को शराब पर क्रमिक रूप से प्रतिबंध लगाने के लिये नीतिगत निर्णय लेने के निर्देश दिये।

याचिकाकर्ता डीके जोशी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने इसके लिये राज्य सरकार को छह माह का समय दिया है। राज्य सरकार को आबकारी कानून की प्रतिबंध से संबंधित धारा 37 ए का अनुपालन करने के निर्देश देने के अलावा उच्च न्यायालय ने 21 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को एल्कोहल की बिक्री न करने के कानून का भी सख्ती से पालन करने का आदेश दिया।

उच्च न्यायालय ने यह आदेश जोशी की जनहित याचिका पर दिया है। बागेश्वर जिले के गरुड क्षेत्र के निवासी और अधिवक्ता जोशी ने याचिका में शराब को पर्वतीय क्षेत्र में समाज में आयी गिरावट का कारण बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगाये जाने का आदेश देने की प्रार्थना की थी।

याचिका में दलील दी गयी थी कि सरकार के संरक्षण में बेची जा रही शराब प्रदेश में जिंदगियों को प्रभावित कर रही है। इस सामाजिक बुराई से कई घर बर्बाद हो गये हैं और शराब पीने से मरने वालों के परिवारों, बीमार होने वालों या दुर्घटना का शिकार होने वालों को कोई मुआवजा भी नहीं मिलता।

याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आबकारी कानून, 1910 को 1978 में 37 ए के जरिये संशोधित किया था लेकिन उत्तराखंड सरकार ने उस संशोधन को अपने यहां लागू नहीं किया। राज्य को बने 19 साल गुजर जाने के बाद भी शराब पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में कोई एहतियाती कदम नहीं उठाये गये हैं और इसके विपरीत राज्य सरकार राजस्व के नाम पर दुकानों की संख्या बढा दी गयी है।

याचिका में कहा गया है कि आबकारी नीति, 2019 के तहत जिलाधिकारी को यह सुनिश्चित करने के विशेष अधिकार दिये गये हैं कि जिले का कोई भी क्षेत्र शराब की दुकान से वंचित न रह जाये। इसके अलावा, राज्य में 21 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों को शराब की बिक्री न किये जाने के प्रावधान की भी अनदेखी की जा रही है।

हालांकि, राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि 2002 में आबकारी नीति में कई प्रकार के नियंत्रण लगाये गये थे और उनका पालन किया जा रहा है । इस संबंध में उदाहरण देते हुए सरकार ने कहा कि हरिद्वार, ऋषिकेश, चारधाम, पूर्णागिरी और पिरान कलियर जैसे धार्मिक स्थानों पर शराब प्रतिबंधित है।

इसके अलावा स्कूल, कालेज, मंदिर और मस्जिदों से भी एक निर्धारित दूरी के नियम का पालन किया जाता है । याचिकाकर्ता की तरफ से पेश अधिवक्ता वीपी नौटियाल ने अदालत के इस आदेश को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे राज्य में शराब के सेवन की बढती प्रवृत्ति पर लगाम लगेगी। 

English summary :
The Uttarakhand High Court has asked the state government to take steps towards banning liquor in uttarakhand state.


Web Title: Uttarakhand government takes steps towards ban on alcohol: High Court

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