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काम के बोझ से दबी सीबीआई, योगी सरकार ने भेजा एक और केस!, जानें क्या है पूरा मामला

By राजेंद्र कुमार | Updated: December 31, 2022 17:51 IST

विनय पाठक छत्रपति शाहू जी महाराज युनिवर्सिटी कानपुर के कुलपति हैं. उन पर आगरा की डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में परीक्षा के संचालन की जिम्मेदारी देने के नाम पर कमीशन मांगने का आरोप है.  

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ठळक मुद्देकाम के बोझ में दबी सीबीआई इस मामले की जांच हाथ में लेगी? आयुष कॉलेजों के दाखिले में हुई हेराफेरी के मामले की जांच सीबीआई ने हाथ में लेने से इंकार कर दिया था. विनय पाठक के खिलाफ विवेचना में धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा भी बढ़ाई गई.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में सीबीआई विवेचकों की कमी से जूझ रही है. दूसरी तरफ उसे जांच के लिए लगातार नए केस जांच के लिए मिल रहे हैं. गत शुक्रवार को योगी सरकार ने बीते तीन माह से चर्चित विनय पाठक प्रकरण की जांच भी सीबीआई से कराने की संस्तुति केंद्र सरकार से कर दी है.

विनय पाठक छत्रपति शाहू जी महाराज युनिवर्सिटी कानपुर के कुलपति हैं. उन पर आगरा की डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में परीक्षा के संचालन की जिम्मेदारी देने के नाम पर कमीशन मांगने का आरोप है. अभी तक इस मामले की जांच एसटीएफ कर रही थी. अब सरकार ने मामले में सीबीआई जांच की संस्तुति प्रदेश सरकार ने कर दी है.

लेकिन काम के बोझ में दबी सीबीआई इस मामले की जांच हाथ में लेगी? इसे लेकर संशय है क्योंकि बीते दिनों योगी सरकार द्वारा प्रदेश के आयुष कॉलेजों के दाखिले में हुई हेराफेरी के मामले की जांच सीबीआई ने हाथ में लेने से इंकार कर दिया था. सूत्रों का कहना है की इस नए प्रकरण की जांच भी सीबीआई हाथ में नहीं लेगी.

गृह विभाग के अधिकारियों के अनुसार, डीजीपी की संस्तुति पर राज्य सरकार विनय पाठक के प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया है. गत 26 अक्टूबर को इस मामले में विनय पाठक व इनके करीबी अजय मिश्र के खिलाफ इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी. एफआईआर दर्ज होने के दूसरे दिन ही एसटीएफ ने अजय मिश्र को गिरफ्तार कर लिया था.

अब तक इस प्रकरण में तीन लोगों को जेल भेजा गया है. जांच के दौरान विनय पाठक के खिलाफ विवेचना में धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा भी बढ़ाई गई. सूबे के विपक्षी दल इस मामले को लेकर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाने लगे थे, जिसके चलते प्रदेश सरकार ने इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच सीबीआई से कराने का फैसला लिया है. 

अब देखना यह है सीबीआई इस मामले की जांच अपने हाथ में लेती है या नहीं, क्योंकि सीबीआई की लखनऊ इकाई के पास पहले से ही काफी संख्या में केस लंबित है. सीबीआई के लखनऊ जोन में इस साल अब तक 33 मामले दर्ज किए हैं.

एंटी करप्शन ब्रांच में दर्ज 28 मामलों में ट्रैप के 10, बैंक फ्रॉड के आठ मामले, केंद्रीय विभागों से संबंधित सात, न्यायालय से जुड़े दो और राज्य सरकार की सिफारिश पर दर्ज एक मामला शामिल है. वहीं, स्पेशल क्राइम ब्रांच में दर्ज पांच मामलों में बैंक फ्रॉड के चार और एक मामला एनटीपीसी में फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी हासिल करने का है.

कुल मिलाकर उसके पास बैंक फ्रॉड से लेकर अलग-अलग सरकारों के समय में भेजे गए घोटालों के केसों की जाचें हैं. इनमें खनन घोटाला, खाद्यान्न घोटाला, रिवर फ्रंट घोटाला, मेरठ-यमुनोत्री हाईवे घोटाला, सचल पालना गृह योजना घोटाला, और चीनी मिल घोटाला की जांच शामिल है.

इसके बाद भी वर्ष 2019 में 25, वर्ष 2020 में 17, वर्ष 2021 में 26 और वर्ष 2022 में 33 मामले जांच के लिए सीबीआई ने अपने हाथ में लिए. इस तरह चार साल में सीबीआई कुल 101 केस दर्ज कर उसकी जांच कर रही है. जबकि उसके पास जांच करने के लिए विवेचकों (इंस्पेक्टर और उपाधीक्षक) की कमी है.

जिसके चलते ही सीबीआई ने प्रदेश के आयुष कॉलेजों के दाखिले में हुई हेराफेरी की जांच हाथ में लेने में रुचि नहीं दिखाई. इसी आधार पर अब कहा जा रहा है कि विनय पाठक प्रकरण की जांच भी अब विवेचकों की कमी के कारण सीबीआई हाथ में लेने में रुचि नहीं दिखाएगी. 

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