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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड ने कहा- ताजमहल अल्लाह का है, इसलिए इसपर हमारा हक़

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: April 18, 2018 10:20 IST

आगरा स्थित ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी बीवी मुमताजमहल की याद में बनवाया था। मुमताजमहल और शाहजहाँ दोनों की कब्र ताजमहल में स्थित है।

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उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मंगलवार (17 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ताजमहल का मालिक अल्लाह है इसलिए वो उस पर मालिकाना हक जता सकता है। 10 अप्रैल को हुई मामले की पिछली सुनवाई में सुन्नी वक्फ बोर्ड से ताजमहल के मालिकाना हक से जुड़े दस्तावेज माँगा था। लेकिन मंगलवार को वक्फ बोर्ड ने कहा कि उसके पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है। 

वक्फ बोर्ड ने सर्वोच्च अदालत में कहा कि क्योंकि ताजमहल में उन्हें फातिहा पढने एवं अन्य मजहबी रवायतें निभाने का अधिकार है इसलिए वो उस पर मालिकाना हक जता सकता है। हालाँकि वक्फ बोर्ड ने ये भी कहा कि मालिकाना हक के बिना भी वो ताजमहल से जुड़ी महजबी रवायतें निभा सकता है। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड से मुगल बादशाह शाहजहाँ के हस्ताक्षर वाले दस्तावेज माँगे थे ताकि ताजमहल पर बोर्ड की मिल्कियत का फैसला किया जा सके। सर्वोच्च अदालत ने वक्फ बोर्ड को दस्तावेज जमा करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया था। द आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने साल 2010 में वक्फ बोर्ड के जुलाई 2005 के फैसले के खिलाफ अपील की थी जिसमें वक्फ ने ताजमहल को अपनी जायदाद बताया था। अदालत ने वक्फ बोर्ड के फैसले पर रोक लगा दी थी।

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आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने वक्फ बोर्ड के वकील से कहा था, "भारत में कौन इस बात पर यकीन करेगा ताजमहल वक्फ बोर्ड की संपत्ति है।" सर्वोच्च अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि इस तरह के मामलों में कोर्ट का समय नहीं खराब करना चाहिए। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने वक्फ बोर्ड के वकील से पूछा था, "आपको ये (ताजमहल) कब दिया गया? आप कब आए? 250 सालों तक ये ईस्ट इंडिया कंपनी के कब्जे में था। उसके बाद ये भारत सरकार के पास आया। एएसआई इसका रखरखाव करता है। उसे ही इसके प्रबंधन का हक है।"

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हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वक्फ बोर्ड के वकील वीवी गिरी ने सर्वोच्च अदालत से कहा था कि मुगल बादशाह शाहजहाँ ने वक्फ बोर्ड को ताजमहल का वक्फनामा दिया था। इस पर सीजेआई मिश्रा ने पूछा, "उन्होंने (शाहजहाँ) ने वक्फनामे पर कैसे दस्तखत किए? वो तो जेल में थे और वहाँ से ताजमहल का दीदार करते रहते थे?"  एएसआई के वकील एडीएन राव ने दावा किया कि शाहजहां ने वक्फ बोर्ड को ऐसा कोई वक्फनामा नहीं दिया था। राव ने कहा कि 1948 के अधिनियम के तहत ताजमहल भारत सरकार के अधीन हो गया था और एएसआई उसकी देखरेख करता है।

आगरा स्थित ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी बीवी मुमताजमहल की याद में बनवाया था। मुमताजमहल और शाहजहाँ दोनों की कब्र ताजमहल में स्थित है।

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