लखनऊः उत्तर प्रदेश के चर्चित IPS अमिताभ ठाकुर को सरकार ने समय से पहले रिटायर कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के खिलाफ केस दर्ज कराने के बाद से ठाकुर सुर्खियों में रहे थे।
1992 बैच के आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को अनिवार्य सेवानिवृति का आदेश थमाया गया है। अनिवार्य सेवानिवृति मिलने के बाद अमिताभ ठाकुर ने ट्वीट किया है। ट्वीट में उन्होंने लिखा.. मुझे अभी-अभी वीआरएस (लोकहित में सेवानिवृति) आदेश प्राप्त हुआ। सरकार को अब मेरी सेवाएं नहीं चाहिए। जय हिन्द।
उत्तर प्रदेश में आईजी रूल्स एंड मैन्युअल के पद पर कार्यरत आइपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई। अमिताभ ठाकुर को लोकहित में सेवा में बनाये रखे जाने के उपयुक्त न पाते हुए लोकहित में तात्कालिक प्रभाव से सेवा पूर्ण होने से पहले सेवानिवृत किये जाने का निर्णय लिया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की स्क्रीनिंग में उत्तर प्रदेश काडर के आइपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के साथ दो अन्य अधिकारियों को भी सरकारी सेवा के योग्य नहीं पाया गया। ये तीनों आइपीएस अफसर गृह मंत्रालय की स्क्रीनिंग में विफल रहे और इनको अनिवार्य सेवनिवृत्ति दे दी गई है। अमिताभ ठाकुर के साथ अनिवार्य सेवानिवृति पाने वाले आईपीएस हैं राजेश कृष्ण और राकेश शंकर।
उत्तर प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी के आदेश के मुताबिक गृह मंत्रालय, भारत सरकार के 17 मार्च के आदेश के द्वारा 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को 'लोकहित' में सेवा में बनाये रखने के उपयुक्त नहीं पाते हुए तत्काल प्रभाव से सेवा पूर्ण होने से पहले सेवानिवृत्त किये जाने का निर्णय लिया गया है।
ठाकुर समय-समय पर सरकार के फैसलों की आलोचना करते रहे हैं। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक अमिताभ ठाकुर के अलावा 2002 बैच के एक पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) और 2005 बैच के एक पुलिस अधीक्षक (एसपी) को भी सेवा पूर्ण होने से पहले सेवानिवृत्त किये जाने का निर्णय लिया गया है। अवनीश कुमार अवस्थी ने इस सूचना की पुष्टि की है। उल्लेखनीय है कि सीधी सेवा के 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर का कार्यकाल अभी जून, 2028 तक बचा है जबकि राज्य पुलिस सेवा से प्रोन्नत होकर आईपीएस बने अन्य दोनों अधिकारियों का कार्यकाल क्रमश : जून 2023 और अप्रैल 2024 तक है। इन अधिकारियों के खिलाफ कई मामलों में जांच चल रही है।
अमिताभ ठाकुर ने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के खिलाफ लखनऊ में केस करावाया था। इसके बाद अखिलेश यादव सरकार ने ठाकुर के खिलाफ भी केस दर्ज कराया। उनके खिलाफ पांच विभागीय कार्रवाई भी हुई थी। ठाकुर पर आरोप लगे थे कि 16 नवम्बर 1993 को आईपीएस की सेवा प्रारंभ करते समय उन्होंने अपनी संपत्ति का ब्यौरा शासन को नहीं दिया था।
इसके साथ ही उन्होंने 1993 से 1999 तक का संपत्ति विवरण शासन को एकमुश्त दिया। आरोपपत्र में यह भी था कि अमिताभ ठाकुर के संपत्ति विवरण में काफी भिन्नताएं हैं। उन्होंने अपनी पत्नी व बच्चों के नाम से काफी संख्या में चल-अचल संपत्तियां, बैंक व पीपीएफ जमा किए हैं। उनको ऋण व उपहार प्राप्त हुए थे, किन्तु उन्होंने इसकी सूचना शासन को नहीं दी।
इन कार्यों को अखिल भारतीय आचरण नियमावली 1968 के नियम 16(1) तथा 16(2) का उल्लंघन बताते हुए अमिताभ ठाकुर को 15 दिन में इनके संबंध में अपना जवाब देने को कहा गया था। इससे पहले अमिताभ ठाकुर पर चार विभागीय कार्रवाइयां चली जो साल 2015-16 में शुरू हुई थी।
इसके बाद अमिताभ ठाकुर कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट के आदेश पर उन्हें फिर बहाल किया गया। उन्होंने ड्यूटी तो ज्वाइन कर ली पर उसके लाइम लाइट में नहीं आए। आज गृहमंत्रालय ने समय से पहले उन्हें रिटायर कर दिया।