Uttar Pradesh by-election 2022: उत्तर प्रदेश में मैनपुरी लोकसभा सीट और रामपुर तथा खतौली विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर शनिवार की शाम चुनाव प्रचार खत्म हो गया. अब चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार बिना किसी तामझाम के मतदाताओं के साथ संपर्क साध सकते हैं.
चुनाव आयोग के निर्देशानुसार इन उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार करने आए नेताओं के चुनाव प्रचार करने पर रोक लग गई है. अब पांच दिसंबर को इन तीनों सीटों पर मतदान होगा और आठ दिसंबर को परिणाम आएंगे.
उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट और दो विधानसभा सीटों रामपुर तथा खतौली में अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव तथा पार्टी के सीनियर नेता आजम खान और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी.
पहली बार मैनपुरी, रामपुर और खतौली में जबर्दस्त राजनीतिक घमासान देखने को मिला. यहीं नहीं अखिलेश यादव, शिवपाल सिंह यादव मैनपुरी में डिंपल यादव को चुनाव जिताने के लिए घर-घर वोट मांगते नजर आए. यहीं नहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन दर्जन से अधिक सीनियर नेता इन तीनों सीटों पर पार्टी प्रत्याशी के लिए वोट मांगने पहुंचे.
इनमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उनके दोनों उप मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री तथा पार्टी के तमाम नेता शामिल हैं. उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र मुलायम सिंहयादव के गढ़ के रूप में जाना जाता है. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर डिंपल यादव चुनाव लड़ रही हैं.
डिंपल यादव सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी और मुलायम सिंह की बहू हैं. सपा के इस गढ़ को ध्वस्त करने की फिराक में हैं. इसी प्रकार आजम खां को सजा सुनाये जाने से खाली हुई रामपुर सीट तथा भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सैनी की विधानसभा सदस्यता रद्द होने के बाद खाली हुई खतौली विधानसभा सीट पर भी भाजपा जीत का परचम फरहाना चाहती है.
रामपुर सीट पर आजम खान और खतौली सीट पर रालोद के मुखिया जयंत चौधरी भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कड़ी टक्कर दे रहें हैं. रामपुर सीट पर सपा के सीनियर नेता और पूर्व विधायक आजम खां ने पार्टी प्रत्याशी असीम रजा के लिए प्रचार किया. 42 वर्षों से इस सीट पर जीत हासिल करते रहे आजम खान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
यूपी की जिन तीन सीटों पर उप चुनाव हो रहा है, उन पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी नहीं खड़े किए. कांग्रेस ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह उपचुनाव में अपने प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारेगी. जबकि बसपा ने रणनीति के तहत उपचुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारा. बसपा नहीं चाहती है कि सपा के उम्मीदवार चुनाव जीते.
इस मंशा के तहत बसपा हाईकमान की ओर निकाय चुनावों पर ध्यान देने की बात कही गई. बसपा के चुनाव मैदान से दूर होने के चलते मैनपुरी और रामपुर में सपा और भाजपा तथा खतौली सीट पर रालोद और भाजपा के बीच आमने सामने की टक्कर हो गई. अब आठ दिसंबर को इस राजनीतिक संघर्ष का रिजल्ट पता चलेगा.