लाइव न्यूज़ :

यूपी चुनाव: कांग्रेस का 40 फीसदी टिकट का दांव, लेकिन अभी तक कैसा रहा है महिला प्रत्याशियों का प्रदर्शन

By विशाल कुमार | Updated: October 21, 2021 10:58 IST

उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने एक बड़ा दांव चलते हुए 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने की घोषणा की है. हालांकि, देश को पहली महिला मुख्यमंत्री देने वाले उत्तर प्रदेश में महिला उम्मीदवारों के विधानसभा पहुंचने का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है.

Open in App
ठळक मुद्देसामान्य सीटों पर महिला उम्मीदवारों के सामने अधिक उम्मीदवार खड़े हो गए.सामान्य सीटों के बजाय आरक्षित सीटों पर महिलाओं का प्रदर्शन अच्छा रहा.हालांकि, आरक्षित सीटों की अपेक्षा सामान्य सीटों पर वोटरों की संख्या अधिक थी.

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने एक बड़ा दांव चलते हुए 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने की घोषणा की है. हालांकि, देश को पहली महिला मुख्यमंत्री देने वाले उत्तर प्रदेश में महिला उम्मीदवारों के विधानसभा पहुंचने का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है. सुचेता कृपलानी 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं.

इंडियास्पेंड और स्वनीति इनिशिएटिव के 2002, 2007 और 2012 के चुनावी आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, इस दौरान वोटरों की संख्या में तो बढ़ोतरी दर्ज की गई लेकिन महिला उम्मीदवारों के सामने अधिक उम्मीदवार खड़े हो गए जिसके कारण बहुत कम महिलाओं को जीत मिली और अधिकतर ने अपनी जमानत जब्त करा ली.

इसमें अनुसूचित जाति (एससी) के लिए सुरक्षित सीटों पर महिलाओं का प्रदर्शन अपवाद रहा जहां सामान्य सीटों की अपेक्षा एससी सीटों पर महिला उम्मीदवारों के जीत का अनुपात दोगुना था.

साल 2002 में सामान्य श्रेणी की 314 सीटों पर उम्मीदवार महिलाओं में से 11 (3.5 फीसदी) को सफलता मिली जबकि एससी के लिए सुरक्षित 89 में 15 सीटों (16.9 फीसदी) पर महिलाओं को सफलता मिली.

साल 2012 में सामान्य श्रेणी की 318 सीटों पर उम्मीदवार महिलाओं में से 22 (6.9 फीसदी) को सफलता मिली जबकि एससी के लिए सुरक्षित 89 में 13 सीटों (15.3 फीसदी) पर महिलाओं को सफलता मिली.

हालांकि, तीनों ही चुनावों में आरक्षित सीटों की अपेक्षा सामान्य सीटों पर वोटरों की संख्या अधिक थी और आरक्षित सीटों की अपेक्षा सामान्य सीटों पर प्रतिद्वंदी उम्मीदवारों की संख्या भी अधिक थी. साल 2002 में मतदान प्रतिशत 53.8 फीसदी, 2007 में 45.95 फीसदी और 2012 में 59.52 फीसदी थी.

बहुत कम महिलाओं के जीतने के तर्क के आधार पर राजनीतिक दल कम महिला उम्मीदवारों को टिकट देने के फैसले को जायज ठहराते हैं.

हालांकि, इंडियास्पेंड की सितंबर 2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार, बेहद खराब लैंगिक अनुपात वाले राज्यों में भी उत्तर प्रदेश से ्अधिक महिला विधायक हैं.

बता दें कि, महिला आरक्षण विधेयक (108वां संशोधन), 2008 राज्यसभा से होने के बावजूद 15वें लोकसभा की समाप्ति के साथ ही 2014 में खत्म हो गया.

इस विधेयक में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव था जिसका पुरुष नेताओं ने जमकर विरोध किया था.

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने की घोषणा करने वाली कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर मुखर रही हैं.

वह हाथरस बलात्कार पीड़िता और उन्नाव बलात्कार पीड़िता के परिवारों से मुलाकात कर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचार को उठाने में कामयाब रही हैं.

टॅग्स :उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावकांग्रेसमहिला आरक्षणPriyanka Gandhi VadraBJP
Open in App

संबंधित खबरें

भारतआखिर गरीब पर ही कार्रवाई क्यों?, सरकारी जमीन पर अमीर लोग का कब्जा, बुलडोजर एक्शन को लेकर जीतन राम मांझी नाखुश और सम्राट चौधरी से खफा

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतकौन थे स्वराज कौशल? दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज के पति का 73 साल की उम्र में हुआ निधन

भारतझारखंड में संभावित सियासी उलटफेर की खबरों पर कोई भी नेता खुलकर बोलने को नहीं है तैयार, सियासी गलियारे में अटकलों का बाजार है गरम

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत