यूपी: मदरसों में ड्रेस कोड लागू करने की तैयारी में योगी सरकार
By स्वाति सिंह | Published: July 3, 2018 05:51 PM2018-07-03T17:51:04+5:302018-07-03T18:00:28+5:30
राज्य के मंत्री मोहसिन रजा ने बताया कि सरकार इस प्रस्ताव पर काम कर रही है। उन्होंने इस कदम को उठाने का कारण आधुनिकरण बताया है।
नई दिल्ली, 3 जुलाई: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने में लगी है। खबर है कि अब जल्दी ही यूपी के मदरसों में ड्रेस कोड लागू किया जा सकता है। राज्य के मंत्री मोहसिन रजा ने बताया कि सरकार इस प्रस्ताव पर काम कर रही है। उन्होंने इस कदम को उठाने का कारण आधुनिकरण बताया है। उन्होंने कहा सरकार मदरसे के शिक्षण प्रणाली को बेहतर बनाना चाहती है। उन्होंने कहा फिलहाल सभी मदरसों में छात्र केवल कुर्ता-पायजामा पहने हैं। उनके लिए अभी कोई ड्रेस कोड नहीं है। हालांकि अभी ड्रेस कोड क्या होगा यह अभी तय नहीं हो पाया है।
बता दें कि योगी सरकार ने मदरसों में एनसीआरटी पाठ्यक्रम लागू किया है। 14 जून को सर्वशिक्षा अभियान के तहत दी जाने वाली किताबों के बारे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक हुई थी। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि अब छात्रों को उर्दू के साथ-साथ अन्य भषाएँ जैसे हिंदी और अंग्रेजी माध्यम से भी पढ़ाई कराई जाएगी। इस पर मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया था कि मदरसों में उर्दू के अलावा मैथ्स, साइंस, इंग्लिश, कंप्यूटर और सोशल साइंस जैसे अन्य विषयों की पढ़ाई नहीं होती।
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अभी तक नहीं मिली एनसीईआरटी की किताबें
अप्रैल में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो जाने के बावजूद मदरसों को अभी तक पुस्तकें उपलब्ध नहीं होने से तरह-तरह की आशंकाएं उत्पन्न हो गई हैं। प्रदेश के 560 शासकीय सहायता प्राप्त मदरसों को सर्वशिक्षा अभियान के तहत कक्षा एक से आठ तक की किताबें मुफ्त उपलब्ध कराई जाती रही हैं, लेकिन इस बार उन्हें अभी तक पुस्तकें नहीं उपलब्ध कराई गई हैं। राज्य सरकार ने मई में मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें लागू किये जाने का आदेश दिया था। अभी इस बात पर निर्णय नहीं हुआ है कि सर्वशिक्षा अभियान चलाने वाला बेसिक शिक्षा विभाग मदरसों को एनसीईआरटी की पुस्तकें देगा या नहीं?
टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया के महासचिव दीवान साहब ज़मां ने बताया कि ज्यादातर बेसिक शिक्षा अधिकारियों के पास अभी सर्वशिक्षा अभियान के तहत किताबें नहीं आई हैं। पूर्व में बेसिक बोर्ड की किताबें दी जाती थीं। अब चूंकि मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम जोड़ दिया गया है, लिहाजा अब इसमें संदेह है कि बेसिक शिक्षा विभाग एनसीईआरटी की किताबें देगा या नहीं? उन्होंने बताया कि मदरसों में शिक्षण सत्र अप्रैल से शुरू होता है जबकि सरकार ने मई में एनसीईआरटी की किताबें लागू करने का फैसला किया। ऐसा कोई भी निर्णय संबंधित सभी पक्षों को विश्वास में लेकर किया जाता है, मगर ऐसा नहीं हुआ। अगर ऐसा होता तो इन समस्याओं का हल निकलता।
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इस बीच, सर्वशिक्षा अभियान के निदेशक वेदपति मिश्र ने बताया कि अभी इस बारे में केंद्र से कोई दिशानिर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। पिछली 14 जून को सर्वशिक्षा अभियान के तहत दी जाने वाली किताबों के बारे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक हुई थी। उस बैठक का विवरण मिलने के बाद ही तय होगा कि मदरसों को एनसीईआरटी की किताबें दी जाएंगी या नहीं?
इधर, मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता का कहना है कि प्रदेश के 560 अनुदानित मदरसों को सर्वशिक्षा अभियान के तहत किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं। बाकी मदरसों के विद्यार्थियों को वे पुस्तकें खरीदनी होंगी। उन्होंने एनसीईआरटी के जिम्मेदार लोगों से बात की है और एक पत्र लिखकर मदरसों में पढ़ाने के लिए जरूरी किताबों की अनुमानित संख्या के बारे में अवगत कराया था ताकि पुस्तकें छपने और उनकी उपलब्धता में कोई परेशानी न हो। उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक सर्वशिक्षा अभियान के तहत मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों के वितरण का सवाल है तो इस बारे में बेसिक शिक्षा विभाग ही जाने।
ज़मां ने इन हालात पर असंतोष व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि इस मामले में सरकार का कोई स्पष्ट नजरिया नहीं है। उन्होंने हाल में रजिस्ट्रार से मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें बांटे जाने की संभावना के बारे में पूछा था, मगर उनका कोई जवाब नहीं आया। उन्होंने कहा कि मदरसों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवार से हैं। शिक्षण सत्र शुरू हो चुका है। ऐसे में वे बाजार से एनसीईआरटी की किताबें कैसे खरीदेंगे? अगर नहीं खरीदेंगे तो पढ़ेंगे क्या?
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ज़मां ने कहा कि वाराणसी में अगले सप्ताह जिले के सभी मदरसों के प्रधानाचार्यों की बैठक करके इस मामले पर विचार-विमर्श किया जाएगा। अगर सरकार किताबें खरीदने को कहेगी तो यह गरीबी रेखा से नीचे के बच्चों के परिवार के लिये दुश्वारी भरा होगा। दूसरा, मदरसा बोर्ड के पास संसाधन नहीं हैं। ऐसे में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम जोड़ना गैरजरूरी दखलअंदाजी है।
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(भाषा इनपुट के साथ)