यूपी नौकरीः दलितों और पिछड़ों की अनदेखी!, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के सीएम योगी को लिखा पत्र, जानिए कहानी
By राजेंद्र कुमार | Updated: June 29, 2024 17:39 IST2024-06-29T17:37:58+5:302024-06-29T17:39:02+5:30
UP Jobs: केंद्रीय मंत्री और अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर राज्य सरकार की सिर्फ साक्षात्कार आधारित नियुक्ति प्रक्रिया वाले आरक्षित पदों पर पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के अभ्यथियों को नहीं चुने जाने की शिकायत की है.

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लखनऊः लोकसभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने रिक्त पदों को भरने की जो मुहिम शुरू की थी, उस पर उनके ही सहयोगी दलों ने सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया है. अपना दल (एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल जो केंद्र तथा योगी सरकार में शामिल है ने खुद ही योगी सरकार की सरकारी नौकरियां देने संबंधी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किया है. उन्होने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इंटरव्यू के आधार पर मिलने वाली नौकरियों में पिछड़ों और दलितों की अनदेखी करने का मुद्दा उठाया गया है. दो पेज के इस पत्र ने सूबे की राजनीति में हंगामा बरपा दिया है.
सरकार के प्रवक्ता इस पत्र को लेकर चुप हैं वही विपक्षी नेता इस पत्र को लेकर योगी सरकार पर निशाना साध रहे हैं. अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से बीते लोकसभा चुनाव में तीसरी बार चुनाव जीती हैं. वर्तमान में अनुप्रिया केंद्र सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री हैं. उन्होंने 27 जून को सीएम योगी को लिखे दो पेज के पत्र में विस्तार से यह लिखा है कि कैसे यूपी में साक्षात्कार आधारित नियुक्ति प्रक्रिया वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ों और दलितों की अनदेखी की जारी है. इस बारे में तमाम अभ्यर्थियों ने उन्हें अवगत कराया है.
बताया है कि तमाम नौकरियों में पिछड़े और दलित कोटे से कोई योग्य उम्मीदवार ना मिलने का दावा कर पदों को सामान्य श्रेणी के कैटेगरी में डाल दिया जाता है. हाल के दिनों में कुछ विश्वविद्यालयों में ऐसा हुआ. पटेल ने यह मांग ही है कि अब से यूपी में सरकारी नौकरियों में पिछड़े और दलितों के पद अन रिजर्व न किया जाए. सरकार के रिक्त पदों को हर हाल में पिछड़े दलित कोटे से ही भरा जाए.
अनुप्रिया की मंशा
अनुप्रिया पटेल ने अपने दो पेज के इस पत्र में यह भी लिखा है कि राज्य सरकार के अधीन सभी संस्थाओं द्वारा आयोजित सिर्फ साक्षात्कार आधारित नियुक्ति प्रक्रिया वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति/जेएनजाति वर्ग के लिए आरक्षित पदों पर नाट फाउंड सुइटबेल की प्रक्रिया बार-बार अपनाते हुए अंत में उन पदों को अनारक्षित घोषित करने की व्यवस्था पर तत्काल रोक लगाने पर तत्काल रोक लगाए. और इन वर्गो से आने वाले अभ्यर्थियों में उत्पन्न हो रहे आक्रोश को रोकने का कष्ट करें.
अपनादल (एस) के नेताओं का कहना है कि पार्टी मुखिया चाहती हैं कि यूपी में पिछड़े और दलित वर्ग के लिए आरक्षित पदों को सिर्फ इन्ही वर्गों से आने वाले अभ्यर्थियों से भरा जाना अनिवार्य किया जाए, चाहे इसके लिए कितनी बार ही नियक्ति प्रक्रिया क्यों ना करनी पड़े.
फिलहाल अनुप्रिया पटेल के इस पत्र को लेकर सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेता कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. जबकि सपा के प्रवक्ता आशुतोष का कहना है कि योगी सरकार सूबे में सरकार के रिक्त पदों को भरने का फर्जी दावा कर रहे हैं और इसे ही अनुप्रिया पटेल ने उजागर किया है.

