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उप्र सरकार ने केरल के पत्रकार कप्पन की जमानत का किया विरोध : कहा, पीएफआई से संबंध हैं

By भाषा | Updated: December 14, 2020 19:50 IST

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नयी दिल्ली, 14 दिसंबर उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जमानत का विरोध करते हुये दावा किया कि वह पीएफआई से ‘संबद्ध’ है जो जाति और वर्ग के आधार पर लोगों को भड़काकर सार्वजनिक शांति भंग करने के लिये जिम्मेदार है। कप्पन को हाथरस जाते समय रास्ते में उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह कथित सामूहिक बलात्कार की शिकार दलित महिला के गांव जा रहा था। इस महिला की बाद में अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी।

राज्य सरकार ने प्रदेश के गृह विभाग में विशेष सचिव सत्य प्रकाश उपाध्याय के माध्यम से दाखिल अतिरिक्त हलफनामे मे इस मामले में विशेष जांच दल की अब तक की जांच का विवरण न्यायालय को सौंपा और केरल यूनियन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स द्वारा कप्पन की जमानत के लिये दायर याचिका का विरोध किया।

हलफनामे में कहा गया है, ‘‘कप्पन पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) से संबद्ध है जो राज्य में जाति और वर्ग के आधार पर लोगों को भड़का कर शांति व्यवस्था बिगाड़ने के लिये जिम्मेदार है। इस संगठन का मकसद लोक व्यवस्था में गडबड़ी पैदा करके कानून के माध्मय से स्थापित सरकार की छवि खराब करना है।’’

हलफनामे में कहा गया है, ‘‘जांच से खुलासा हुआ है कि आरोपी कप्पन सिर्फ लोक व्यवस्था में व्यवधान डालने के संज्ञेय अपराध करने की साजिश में ही शामिल नहीं है बल्कि

एक सरगना है जिसके देश के विभिन्न हिस्सों में दुर्भाग्यपूर्ण दंगों और सार्वजनिक सौहार्द बिगाड़ने की घटनाओं से तार जुड़े हैं।’’

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कप्पन की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली पत्रकारों के संगठन की याचिका पर सुनवाई जनवरी के तीसरे सप्ताह के लिये सूचीबद्ध कर दी। इससे पहले, पीठ ने इस संगठन से कहा कि वह राज्य सकार के अतिरिक्त हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करे।

राज्य सरकार ने कहा है कि पत्रकारों के संगठन द्वारा आरोपी की जमानत के लिये दायर आवेदन में कोई दम नहीं है और इसे इस आधार पर खारिज किया जाना चाहिए कि यह मामला पहले ही विशेष जांच बल को सौंपा जा चुका है और प्रभावी तरीके से जांच के लिये हिरासत में उसकी जरूरत है।

राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि अभी इस मामले में बहुत सारे साक्ष्य एकत्र करने हैं और दर्ज करने हैं। राज्य सरकार ने कहा है कि अगर न्यायालय ने जमानत की याचिका स्वीकार कर ली तो कप्पन के फरार होने और इसी तरह की गतिविधियों में संलिप्त होने की पूरी संभावना है और आरोपी इस मामले की सुचारू जांच में हस्तक्षेप कर सकता है।

हलफनामे के अनुसार कप्पन और अन्य सभी आरोपियों के पीएफआई के सदस्यों, जो प्रतिबंधि आतंकी संगठन सिमी के कार्यकारी सदस्य रह चुके हैं, से प्रत्यक्ष और नजदीकी संबंध हैं।

राज्य सरकार का कहना है कि पांच अक्टूबर के पूछताछ के दौरान कप्पन ने फर्जी पहचान पत्र पेश कर दावा किया था कि वह मलयाली समाचार पत्र ‘तेजस’ का संवाददाता है।

राज्य सरकार के अनुसार जांच करने पर पता चला कि यह अखबार दिसंबर, 2018 से बंद है और उसके बाद से उसका अस्तित्व नहीं है। राज्य सरकार ने पत्रकारों के संगठन पर आरोपी की सही पहचान छिपाने के प्रयास का आरोप लगाया है।

राज्य सरकार ने यह आरोप भी लगाया है कि जब कप्पन ‘तेजस’ अखबार से संबद्ध था तो इसके अधिकतर संपादक ‘पीएफआई के कार्यकारी सदस्य’ थे।

उप्र सरकार ने यह भी आरोप लगाया है कि कप्पन जांच में सहयोग नहीं कर रहा है और निचली अदालत दूसरे आरोपियों की जमानत याचिका उनके गुण दोष के आधार पर खारिज कर चुकी हैं।

राज्य सरकार ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण पर अंकुश पाने के लिये निर्धारित मानक प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जा रहा है और पेश मामले में कप्पन तथा अन्य आरोपियों को उनके पृथकवास की अवधि पूरी होने के बाद 24 अक्टूबर को मथुरा की मुख्य जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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