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UP सरकार गेहूं की ढुलाई व सफाई के लिए बिना रसीद दिए ले रही पैसे: संसद में सपा सदस्य

By भाषा | Updated: September 16, 2020 15:08 IST

एनसीपी सांसद वंदना चव्हाण ने कहा कि डिजिटल ढांचे को मजबूत बनाने और ऐसे छात्रों को डिजिटल सुविधाएं मुहैया कराने का सरकार से आग्रह किया।

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ठळक मुद्देशून्यकाल में ही राकांपा सदस्य वंदना चव्हाण ने समाज के कमजोर तबके के छात्रों की मुश्किलों का जिक्र किया और कहा कि ऐसे बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।शून्यकाल में ही कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कोरोना वायरस बीमारी के इलाज में महत्वपूर्ण आक्सीजन की कीमतों में भारी वृद्धि होने पर चिंता जतायी।

नयी दिल्ली: सपा सदस्य जावेद अली खान ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार किसानों से गेहूं खरीदने में 20 रूपए प्रति क्विंटल की दर से ढुलाई व सफाई के पैसे ले रही है और लोगों को इस राशि की कोई रसीद भी नहीं दी जा रही है। खान ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार ने गेहूं की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 रूपए प्रति क्विंटल तय किया है लेकिन किसानों के हाथ में 1905 रूपए की दर से पैसे आ रहे हैं।

20 रूपए गेहूं की ढुलाई, सफाई आदि के नाम पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिए जा रहे हैं और इस राशि की कोई रसीद भी नहीं दी जा रही है। उन्होंने सरकारी खरीद केंद्र के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें 20 रूपए की दर से नकद देने को कहा गया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने इसका सरकारी आदेश मांगा तो वहां के अधिकारी ने उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार का आदेश दिखाया। लेकिन आदेश में यह भी जिक्र था कि केंद्र से मंजूरी मिलने और मुख्यमंत्री की सहमति के बाद किसानों को यह राशि लौटा दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि किसानों को पिछले तीन साल में कोई राशि नहीं लौटायी गयी है। उन्होंने कहा कि इस साल उत्तर प्रदेश में 36 लाख क्विंटल गेहूं की खरीद की गयी और किसानों से 72 करोड़ रुपये लिए गए। राष्ट्रीय स्तर पर यह राशि 780 करोड़ रुपये है। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सरकार से इस मुद्दे पर गौर करने को कहा।

शून्यकाल में ही राकांपा सदस्य वंदना चव्हाण ने समाज के कमजोर तबके के छात्रों की मुश्किलों का जिक्र किया और कहा कि ऐसे बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि करीब 27 प्रतिशत छात्रों के पास न तो स्मार्ट फोन और न ही लैपटॉप या टीवी हैं। उन्होंने डिजिटल ढांचे को मजबूत बनाने और ऐसे छात्रों को डिजिटल सुविधाएं मुहैया कराने का सरकार से आग्रह किया।

शून्यकाल में ही कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कोरोना वायरस बीमारी के इलाज में महत्वपूर्ण आक्सीजन की कीमतों में भारी वृद्धि होने पर चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि राज्यों में आक्सीजन सिलेंडर की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि पहले इसकी कीमत 10 रूपए प्रति क्यूबिक मीटर थी जो बढ़कर 50 रुपये तक बढ़ गयी।

भाजपा के भागवत कराड ने भी यह मुद्दा उठाया और मांग की कि हर राज्य में आक्सीजन की समान और नियमित आपूर्ति हो। मनोनीत स्वप्न दासगुप्ता ने पिछले दिनों विश्वभारती विश्वविद्यालय में हुयी तोड़फोड़ का मुद्दा उठाया और सुरक्षा के लिए केंद्रीय बल तैनात करने की मांग की।

उन्होंने कहा कि तोडफोड़ के बाद विश्वविद्यालय 17 अगस्त से ही बंद है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने नयी शिक्षा नीति पर सवाल उठाया और कहा कि यह भविष्य की ओर बढ़ने के बदले पीछे की ओर ले जाने वाला है। उन्होंने कहा कि नयी व्यवस्था में गरीब बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में बच्चे बीच में में पढ़ाई छोड़ देते हैं।

इस समस्या पर गौर नहीं किया गया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि शिक्षकों को भी शिक्षण कार्य के अलावा कई अन्य जिम्मेदारी दे दी जाती है जिससे शिक्षण कार्य पर ध्यान केंद्रित करना कठिन हो जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को चुनाव कार्य, जनगणना, टीकाकरण आदि कार्यों में लगा दिया जाता है। शून्यकाल में ही कांग्रेस के राजमणि पटेल, भाजपा के राकेश सिन्हा, माकपा के इलामारम करीम, राकांपा की फौजिया खान, बसपा के अमर पटनायक ने विशेष उल्लेख के जरिए लोक महत्व के विभिन्न मुद्दे उठाए। उन्होंने इस संबंध में अपने वक्तव्य सदन के पटल पर रखे।  

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