मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देंगे केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी?, आखिर क्या है वजह, नए साल से पहले भाजपा में हलचल
By राजेंद्र कुमार | Updated: December 13, 2025 18:25 IST2025-12-13T18:24:00+5:302025-12-13T18:25:21+5:30
लंबे समय बाद पंकज चौधरी के रूप में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर ओबीसी वर्ग के किसी नेता को निर्विरोध चुना जाएगा.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर 12 वर्ष बाद चुनाव होने जा रहा है. इसके पहले वर्ष 2013 में चुनाव हुआ था. तब लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने अध्यक्ष पद के लिए अकेला नामांकन दाखिल किया था. शनिवार को फिर 12 साल पहले के घटनाक्रम को दोहराया गया और उत्तर प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष पद के लिए केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मौजूदगी में नामांकन दाखिल किया. इस दौरान उनके साथ सीएम योगी और दोनों डिप्टी सीएम मौजूद रहे. पंकज चौधरी के अलावा किसी ने भी नामांकन नहीं किया.
ऐसे में अब उनका चुनाव निर्विरोध होगा. चुनाव की जरूरत नहीं पड़ेगी. किसी और के नामांकन करने पर अध्यक्ष पद के लिए मतदान कल रविवार 14 दिसंबर को होता. इसी के बाद नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान किया जाता. इसलिए अब जल्दी ही उनके नाम का ऐलान हो जाएगा. लंबे समय बाद पंकज चौधरी के रूप में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर ओबीसी वर्ग के किसी नेता को निर्विरोध चुना जाएगा.
ऐसे तय हुआ पंकज चौधरी का नाम
पंकज चौधरी को यूपी का प्रदेश बनाए जाने का पूरा घटनाक्रम दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह अमित शाह ने तय किया है. उनका नाम तो बीते सप्ताह ही चर्चा में आया. इसके पहले तो ओबीसी नेता के तौर पर बीएल वर्मा और स्वतंत्र देव सिंह का नाम प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने वाले नेताओं की रेस में शामिल था.
मुख्यमंत्री योगी भी यही चाहते थे कि अगर ओबीसी वर्ग से किसी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए तो बीएल वर्मा या स्वतंत्र देव सिंह में से किसी को बनाया जाए.परंतु पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री के पंकज चौधरी को यूपी भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाना उचित समझा. पंकज चौधरी को प्रधानमंत्री का विश्वस्त नेता माना जाता है.
इसकी कारण दो साल पहले 7 जुलाई 2023 को गीता प्रेस के कार्यक्रम में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना किसी निर्धारित कार्यक्रम के पंकज चौधरी के घर पहुंच गए थे. अब इसे लेकर चर्चा हो रही है और पंकज चौधरी के राजनीतिक सफर के किस्से मीडिया को बताए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि उन्होंने पार्षद चुनाव से राजनीति की शुरुआत की.
वह गोरखपुर के डिप्टी मेयर रहे.फिर 1991 में पहली बार सांसद बने. वर्ष 2004 का एक चुनाव छोड़ कर लगातार महराजगंज से सांसद चुने जा रहे हैं. सात बार के सांसद पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला कर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव को कड़ी चुनौती पेश कर दी है.
कहा यह भी जा रहा है कि यूपी के बीते लोकसभा चुनाव में पिछड़ा वर्ग के वोट भाजपा से खिसकने के चलते ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सपा के पीडीए फॉर्मूला को पंकज चौधरी के जरिए चुनौती देने की ठानी है, इसके लिए उन्हे प्रदेश अध्यक्ष बनकर भाजपा पिछड़ी जातियों को अपने साथ जोड़ने में जुटेगी. गोरखपुर मंडल की राजनीति में शुरुआत से ही योगी आदित्यनाथ से पंकज चौधरी की प्रतिस्पर्धा रही है.
हालांकि अब पंकज चौधरी के अध्यक्ष पद पर बैठने को यूपी की राजनीति में योगी आदित्यनाथ से शक्ति संतुलन के तौर पर देखा जा रहा है. कहा जा रहा है कि पंकज चौधरी अब प्रदेश में केंद्रीय नेतृत्व के रिप्रेजेंटेटिव के तौर कार्य करेंगे. फ़िलहाल अब पंकज चौधरी का पार्टी को मजबूत करने का नए सफर 14 दिसंबर से शुरू होगा.