राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने गुरुवार को सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए भाषण के एक शब्द को सदन के रिकॉर्ड से निकाल दिया है. एनपीआर, सीएए मामले में विपक्ष (कांग्रेस) पर जोरदार हमला करते हुए प्रधानमंत्री ने उन पर लोगों को गुमराह करने के लिए 'झूठ' फैलाने का आरोप लगाया.
इससे बहस के दौरान हंगामा खड़ा हो गया जो कल तक देरी से चला. सदन की मनोदशा को भांपते हुए सभापति ने असंसदीय शब्द को तत्काल सदन की कार्यवाही से हटा दिया. दिलचस्प बात यह है कि सभापति ने नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद की टिप्पणी 'गुमराह' को भी कार्यवाही से निकाल दिया. इससे अधिक चौकाने वाली बात है कि प्रधानमंत्री ने भी अपने भाषण में इसी 'गुमराह' शब्द का इस्तेमाल किया था.
यह दूसरी बार है जबकि सभापति नायडू को प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से कोई शब्द हटाना पड़ा है. 2018 में कांग्रेस नेता बी. के. हरिप्रसाद के खिलाफ मोदी की टिप्पणियों से कुछ शब्द हटाए गए थे. 11 अगस्त 2018 को उच्च सदन के निर्वाचित उपसभापति हरिवंश को बधाई देते वक्त मोदी ने विपक्ष के उम्मीदवार रहे हरिप्रसाद पर टिप्पणी की थी. विपक्ष ने हरिप्रसाद का मजाक उड़ाने के लिए प्रयुक्त तीन शब्दों इस पर ऐतराज जताया था. नायडू ने अगले दिन इन तीनों शब्दों को हटा दिया था.
उन्होंने राजद सदस्य मनोज के इन तीन शब्दों को भी कार्यवाही से हटा दिया, जिसे उन्होंने इन शब्दों को रिकॉर्ड से हटाने की मांग करते हुए उद्धृत किया था.
विशेषाधिकार नोटिस टला:
इस टिप्पणी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस लाने की चर्चा थी, लेकिन इन शब्दों को रिकॉर्ड से हटाने के बाद, इसे टाल दिया गया. वैसे, वेंकैया नायडू के कार्यालय राज्यसभा सचिवालय ने आज राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर प्रधानमंत्री की टिप्पणी से 'झूठ' शब्द को हटाते हुए एक आधिकारिक आदेश भी जारी किया.