उन्नाव दुष्कर्म मामला: दोषी करार दिए जाने पर फफक-फफककर रो पड़े कुलदीप सिंह सेंगर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 16, 2019 05:40 PM2019-12-16T17:40:45+5:302019-12-16T17:40:45+5:30
उन्नाव रेप केस: अदालत ने सेंगर को भारतीय दंड संहिता के तहत दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम के तहत लोकसेवक द्वारा बच्ची के खिलाफ यौन हमले के अपराध का दोषी ठहराया। अदालत सजा की अवधि पर बुधवार को दलीलें सुनेगी। इस अपराध के लिये अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
उन्नाव रेप केस में दोषी ठहराए जाने पर बीजेपी से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर फफक-फफककर रो पड़े। कोर्टरूम में दोषी करार दिए जाने के तुरंत बाद सेंगर को रोते हुए देखा गया। वह अपनी बहन के पास जाकर रोने लगे। नाबालिग लड़की से रेप के मामले में कोर्ट ने आईपीसी और पॉक्सो ऐक्ट के तहत कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया। मंगलवार को अदालत कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को लेकर बहस होगी।
अदालत ने सेंगर को भारतीय दंड संहिता के तहत दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम के तहत लोकसेवक द्वारा बच्ची के खिलाफ यौन हमले के अपराध का दोषी ठहराया। अदालत सजा की अवधि पर बुधवार को दलीलें सुनेगी। इस अपराध के लिये अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने हालांकि सह-आरोपी शशि सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया। पॉक्सो अधिनियम के तहत सेंगर (53) को दोषी ठहराते हुए अदालत ने कहा कि सीबीआई ने साबित किया कि पीड़िता नाबालिग थी और इस विशेष कानून के तहत चलाया गया मुकदमा सही था।
न्यायाधीश ने फैसला पढ़ते हुए कहा, “मैंने उसके बयान को सच्चा और बेदाग पाया कि उस पर यौन हमला हुआ। उस पर खतरा था, वो चिंतित थी। वह गांव की लड़की है, महानगरीय शिक्षित इलाके की नहीं...सेंगर एक शक्तिशाली व्यक्ति था। इसलिये उसने अपना वक्त लिया...।”
न्यायाधीश ने जब फैसला सुनाना शुरू किया तो सह-आरोपी सिंह बेहोश हो गई। अदालत ने यह भी कहा कि पीड़िता द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखे जाने के बाद उसके परिवार वालों के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किये गए और उनपर “सेंगर की छाप” थी।
अदालत ने दुष्कर्म के मामले में सीबीआई द्वारा आरोप पत्र दायर करने में की गई देरी पर भी हैरानी जताई और कहा कि इससे सेंगर और अन्य के खिलाफ मुकदमा लंबा चला। पॉक्सो का संदर्भ देते हुए अदालत ने कहा कि कानून में “कुछ गलत” नहीं लेकिन इसे जमीनी स्तर पर प्रभावी तरीके से लागू करने और संबंधित अधिकारियों में मानवीय रवैये की कमी से अक्सर ऐसी स्थिति बनती है जहां न्याय में देरी होती है।
अदालत ने कहा कि सीबीआई खुद जांच और अभियोजन से जुड़ी नियमावली का पालन नहीं करती है। सेंगर ने 2017 में पीड़िता का अपहरण और दुष्कर्म किया था जब वह नाबालिग थी। अदालत ने सह आरोपी शशि सिंह के खिलाफ भी आरोप तय किये थे।
भाजपा ने उत्तर प्रदेश के बांगरमऊ से चार बार के विधायक सेंगर को अगस्त 2019 में पार्टी से निष्कासित कर दिया था। अदालत ने नौ अगस्त को विधायक और सिंह के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, अपहरण, बलात्कार और पॉक्सो कानून से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए थे। उच्चतम न्यायालय द्वारा इस मामले को उन्नाव से राष्ट्रीय राजधानी स्थानांतरित किये जाने के बाद इस हाईप्रोफाइल मामले की सुनवाई बंद कमरे में हुई थी।