केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन को मंजूरी दे दी। इस पर 1,480 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
इस मिशन का मकसद चिकित्सा, सैन्य जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले तकनीकी कपड़े तैयार करने के मामले में भारत को अगुवा बनाना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को पेश बजट में राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन के गठन का प्रस्ताव किया था। इसे 2020-21 से 2023-24 के दौरान क्रियान्वित किया जाना है।
कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का निर्णय किया गया। तकनीकी कपड़ा में ऐसी सामग्री और उत्पादों का उपयोग होता है जिससे उसका जरूरत के अनुसार संबंधित क्षेत्र में उपयोग हो सके।
इस प्रकार के कपड़ों का उपयोग कृषि, चिकित्सा, खेल, सैन्य और कई अन्य क्षेत्रों में होता है। तकनीकी कपड़ों के उपयोग से कृषि, बागवानी और मत्स्यन के क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिली है। साथ ही इससे सेना, अर्द्धसैनिक बलों, पुलिस और सुरक्षा बलों को बेहतर सुरक्षा में मदद मिलती है।
एक सर्वे के अनुसार 2017-18 में देश में तकनीकी कपड़ों के बाजार का आकार 1,16,217 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया था। वृद्धि की मौजूदा प्रवृत्ति और सरकार की विभिन्न पहल से तकनीकी कपड़ों का बाजार आकार 2020-21 में 2 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाने का अनुमान हे।
दो खाद्य संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को हरियाणा और तमिलनाडु में दो राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दे दी। कैबिनेट के फैसलों के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए, सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मंत्रिमंडल ने दो खाद्य खाद्य संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देने के लिए राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन (निफटेम) विधेयक, 2019 में संशोधनों को मंजूरी दी है।
मंत्री ने कहा कि हरियाणा के कुंडली और तमिलनाडु के तंजावुर स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान को विशेष दर्जा प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कदम से इन संस्थानों को विदेशी खाद्य संस्थानों के साथ सहयोग करने और शिक्षा के स्तर में सुधार करने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू कश्मीर के लिये केंद्रीय कानूनों को समवर्ती सूची में रखने को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के लिये केंद्रीय कानूनों को समवर्ती सूची में रखने को बुधवार को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी। गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जे से संबंधित अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को समाप्त करने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित करने का निर्णय किया था।
मंत्रिमंडल ने आईपीजीएल को लोक उपक्रम विभाग के दिशानिर्देश से छूट देने को मंजूरी दी
सरकार ने चाबहार बंदरगाह परियोजना के सुचारू क्रियान्वयन के लिये बुधवार को लोक उपक्रम विभाग (डीपीई) दिशानिर्देश से इंडिया पोट्र्स ग्लोबल लि. को छूट देने को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दी गयी।
पोत परिवहन मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इंडिया पोट्र्स ग्लोबल लि. (आईपीजीएल) को डीपीई दिशानिर्देश से छूट देने को मंजूरी दे दी। हालांकि इसमें आरक्षण और सतर्कता नीति से छूट शामिल नहीं है और ये पहले की तरह लागू होंगी।’’ ईरान में चाबहार के शाहिद बेहेस्ती बंदरगाह के विकास और प्रबंधन के लिये आईपीजीएल का गठन विशेष उद्देश्यीय इकाई के रूप में किया गया। जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) और दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट (डीपीटी) इसके प्रवर्तक थे।
संयुक्त व्यापक कार्य योजना से अमेरिका के हटने के बाद विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी पाबंदी के प्रभाव से बचने के लिये 29 अक्टूबर 2018 को पोत परिवहन मंत्रालय को जेएनपीटी और डीपीटी को हटाने की सलाह दी। बयान के अनुसार, ‘‘इस सुझाव के आधार पर तथा अधिकार प्राप्त समिति की मंजूरी के साथ जेएनपीटी एंड डीपीटी के सभी शेयर 17 दिसंबर 2018 को सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लि. (एसडीसीएल) ने ले लिये।’’ एसडीसीएल केंद्रीय लोक उपक्रम है और इसीलिए आईपीजीएल सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी की अनुषंगी है और केंद्रीय लोक उपक्रम भी बन गयी।
इसके कारण डीपीई के दिशानिर्देश तकनीकी रूप से आईपीजीएल पर भी लागू होते थे। बयान के अनुसार चूंकि चाबहार बंदरगाह देश की पहली वैश्विक बंदरगाह परियोजना है जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। ऐसे में जरूरी था कि आईपीजीएल निदेशक मंडल प्रबंधन कंपनी के रूप में निरंतर काम करे। साथ ही पोत परविहन के साथ-साथ विदेश मंत्रालयों के निर्देशों के पालन करते हुए डीपीई के दिशानिर्देश पांच साल के लिये इस पर लागू नहीं हों। इसी के अनुसार पोत परिवहन मंत्रालय ने आईपीजीएल को डीपीई दिशानिदे्रश से छूट देने का आग्रह किया था ताकि परियोजना का क्रियान्वयन सुचारू रूप से हो सके।