समान नागरिक संहिता असंवैधानिक, किसी भी सूरत में न की जाए लागू : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

By भाषा | Updated: November 21, 2021 20:02 IST2021-11-21T20:02:22+5:302021-11-21T20:02:22+5:30

Uniform Civil Code unconstitutional, should not be implemented under any circumstances: Muslim Personal Law Board | समान नागरिक संहिता असंवैधानिक, किसी भी सूरत में न की जाए लागू : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

समान नागरिक संहिता असंवैधानिक, किसी भी सूरत में न की जाए लागू : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

कानपुर (उप्र), 21 नवंबर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता को संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ करार देते हुए रविवार को सरकार से कहा कि वह इस संहिता को किसी भी सूरत में लागू नहीं करे।

बोर्ड ने रविवार को यहां अपने 27वें सार्वजनिक जलसे के दूसरे और अंतिम दिन पारित एक प्रस्ताव में समान नागरिक संहिता को संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ करार देते हुए सरकार से यह भी कहा है कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तथा आंशिक या पूर्ण रूप से ऐसी कोई संहिता लागू न करे।

प्रस्ताव में कहा गया है कि हिंदुस्तान में अनेक धर्मों और रवायत के मानने वाले लोग रहते हैं। ऐसे में समान नागरिक संहिता इस देश के लिए कतई उपयुक्त नहीं है और ऐसी संहिता लागू करने की दिशा में उठाया जाने वाला कोई भी कदम हमारे संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा।

प्रस्ताव में इस्लाम के धर्म प्रचारकों को अवैध धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किए जाने और कुछ सांप्रदायिक लोगों द्वारा खुलेआम धर्मांतरण का नारा लगाने के बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं किए जाने पर असंतोष भी जारी किया गया।

प्रस्ताव में बोर्ड ने कहा कि संविधान में देश के हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत अपने धर्म का प्रचार करने का भी हक दिया गया है। अगर कोई व्यक्ति दबाव या लालच का सहारा लिए बगैर अपने धर्म का प्रचार करता है तो संविधान में इसकी इजाजत दी गई है। मुसलमानों ने हिंदुस्तान में धर्म प्रचार के लिए कभी जबरदस्ती का सहारा नहीं लिया। यही वजह है कि 1000 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद मुसलमान हमेशा अल्पसंख्यक ही रहे।

बोर्ड ने प्रस्ताव में कहा "हाल के कुछ दिनों में कुछ लोगों ने स्वेच्छा से इस्लाम स्वीकार किया है। उन्होंने पुलिस या अदालत में दावा नहीं किया कि उन्हें जबरन इस्लाम में दाखिल किया गया है लेकिन फिर भी धर्म का प्रचार करने वालों के खिलाफ झूठे मुकदमे दायर किए गए हैं। यह स्पष्ट रूप से संविधान का उल्लंघन है। सरकार से मांग है कि वह किसी भी समूह के मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप न करें और सभी वर्गों के साथ निष्पक्षता का व्यवहार करते हुए गलत काम करने वालों के खिलाफ कानूनन कार्रवाई करे।"

हालांकि बोर्ड ने किसी घटना विशेष का जिक्र नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि उसका इशारा उत्तर प्रदेश के आतंकवाद रोधी दस्ते द्वारा हाल के महीनों में अवैध धर्मांतरण के आरोप में मौलाना कलीम समेत कई लोगों को गिरफ्तार किए जाने की तरफ है।

बोर्ड ने हाल में पैगंबर मोहम्मद साहब के प्रति अपमानजनक टिप्पणियां करने वालों के खिलाफ सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर असंतोष जाहिर करते हुए भविष्य में ऐसे लोगों पर प्रभावी कार्रवाई के लिए एक कानून बनाने की मांग की है।

प्रस्ताव में कहा गया है इस्लाम सभी धर्मों और उनके आराध्यों का आदर करता है, मगर हाल में पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं लेकिन उससे भी ज्यादा अफसोस की बात यह है कि सरकार ने ऐसा करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

बोर्ड ने प्रस्ताव में पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत और दुश्मनी पर आधारित दुष्प्रचार पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि मुसलमानों के इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर सांप्रदायिकता और भड़काऊ सामग्री पेश करके जहर बोया जा रहा है। सरकार से मांग है कि वह सोशल मीडिया पर हो रही इन हरकतों को रोके और इसके जिम्मेदार अराजक तत्वों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे।

बोर्ड ने सरकार तथा न्यायपालिका से आग्रह किया है कि वे धार्मिक कानूनों और पांडुलिपियों का अपने हिसाब से व्याख्या करने से परहेज करें।

बोर्ड ने दहेज हत्या समेत महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के साथ-साथ विवाह में उनकी सहमति नहीं लिए जाने के चलन पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून बनाने और उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।

कानपुर में बोर्ड के 27वें सालाना जलसे के पहले दिन शनिवार को मौलाना राबे हसनी नदवी को एक बार फिर बोर्ड का अध्यक्ष चुन लिया गया। इसके अलावा मौलाना वली रहमानी के निधन से रिक्त हुए पद पर मौलाना खालिद सैफुल्ला और मौलाना कल्बे सादिक के इंतकाल की वजह से खाली हुए ओहदे पर मौलाना अरशद मदनी को नियुक्त किया गया है।

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Web Title: Uniform Civil Code unconstitutional, should not be implemented under any circumstances: Muslim Personal Law Board

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