देहरादून: यूक्रेन संकट को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। वहीं भारत राजनयिक और शांतिपूर्ण तरीके से इस मसले का हल चाहता है। लेकिन भारत के लिए अपने नागरिकों और छात्रों को वतन वापिस लाने की प्राथमिकता है। इस बीच यूक्रेन में रह रहे नागरिकों और छात्रों के परिजनों को भी उनकी चिंता सताने लगी है। छात्रों के घरवालों को अपने बेटे-बेटियों को लेकर चिंता है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में छात्रों की माओं ने भारत सरकार से अपने बेटे-बेटियों को वतन वापिस लाने की गुहार लगाई है।
देहरादून की चिंतित माताएं रश्मि बिष्ट, प्रीति पोखरियाल और अंजू सिंह, जिनके बच्चे यूक्रेन में फंस गए हैं, सरकार से भारतीय दूतावास के माध्यम से सभी सहायता प्रदान करने का अनुरोध करते हुए उन्हें सुरक्षित वापस लाने की तैयारी की विनती की है।
यूक्रेन में फंसी एक मेडिकल छात्रा की मां अंजू सिंह ने मीडिया एजेंसी एएनआई से कहा, मैंने अभी तक अपनी बेटी से कनेक्टिविटी के मुद्दों के कारण बात नहीं की है, उसने साइबर हमले के डर से अपना वाई-फाई बंद कर दिया है।
इस बीच यूक्रेन की राजधानी कीव में भारतीय दूतावास ने यूक्रेन सरकार से अपने नागरिकों और छात्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पत्र लिखा है। वहीं युद्ध की आग में झुलस रहे देश से भारतीय नागरिकों को निकालने में सहायता के लिए, विदेश मंत्रालय की टीमों को हंगरी, पोलैंड, स्लोवाक गणराज्य और रोमानिया में यूक्रेन के साथ भूमि सीमाओं पर भेजा जा रहा है। इसकी जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय ने दी है।