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यूजीसी ऑनलाइन शिक्षण ट्रेनिंग का बना रहा मॉडल, विश्वविद्यालय कॉलेजों में 30-40 फीसदी टीचिंग होगी ऑनलाइन

By एसके गुप्ता | Updated: June 1, 2020 19:46 IST

यूजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने लोकमत से बातचीत में कहा कि यूजीसी के नए दिशानिर्देशों के अनुसार 60-70 फीसदी क्लासरूम टीचिंग होगी और 30-40 फीसदी ऑनलाइन शिक्षण होगा।

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ठळक मुद्देमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने यूजीसी को इसे लेकर यह निर्देश दिया था कि वह शिक्षकों के लिए ऑनलाइन शिक्षण ट्रेनिंग मॉडल तैयार करे।यूजीसी की ओर से एक ऑनलाइन लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम तैयार किया जा रहा है, जिसे बहुत जल्द शिक्षकों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

नई दिल्लीः कोविड-19 के संक्रमण को ध्यान में रखकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए ऑनलाइन टीचिंग ट्रेनिंग का मॉडल तैयार कर रहा है।

इससे देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों को ऑनलाइन टीचिंग के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। यूजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने लोकमत से बातचीत में कहा कि यूजीसी के नए दिशानिर्देशों के अनुसार 60-70 फीसदी क्लासरूम टीचिंग होगी और 30-40 फीसदी ऑनलाइन शिक्षण होगा।

 ऐसे में सभी शिक्षकों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करना जरूरी है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने यूजीसी को इसे लेकर यह निर्देश दिया था कि वह शिक्षकों के लिए ऑनलाइन शिक्षण ट्रेनिंग मॉडल तैयार करे।

यूजीसी की ओर से एक ऑनलाइन लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम तैयार किया जा रहा है, जिसे बहुत जल्द शिक्षकों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार पहले से ही शिक्षकों के लिए विभिन्न योजनाओं जैसे निष्ठा और पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एंड टीचिंग (पीएमएमएमएनएमटीटी) के लिए प्रशिक्षण का आयोजन करता रहा है।

लेकिन कोरोना संकट काल के लिए ट्रेनिंग मॉडल में बदलाव जरूरी है। क्योंकि उच्च शिक्षण संस्थानों में अभी भी किताबों और नोट्स से पढाई करने का प्रचलन है। हालांकि सरकार ने नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी में सभी किताबें उपलब्ध कराई हैं। लेकिन शिक्षक किस तरह से इसका उपयोग करें और छात्रों को समझाएं और किस तरह से ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन करें?

इस दिशा में प्रशिक्षित करना जरूरी है। नए मॉडल में यूजीसी ई-लर्निंग के भविष्य को मजबूत करने के लिए और अधिक प्रयासों और संसाधनों को शामिल कर रहा है। भारत में शिक्षकों और छात्रों के लिए इसे और अधिक प्रभावशाली और उम्मीद से अधिक रचनात्मक बनाने के लिए काम किया जा रहा है।

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