शिलांग, 21 अक्टूबर मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के मावस्माई गांव में चूना पत्थर की गुफा के भीतर सूक्ष्म घोंघे की एक नई प्रजाति मिली है। इसकी खोज करने वाले वैज्ञानिकों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
'जियोरिसा मावस्माएंसिस' वैज्ञानिक नाम वाले घोंघे आकार में इतने छोटे होते हैं कि एक वयस्क घोंघे की लंबाई दो मिलीमीटर से कम होती है।
यह खोज बेंगलुरु स्थित अशोक ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड द एनवायरनमेंट (एटीआरईई) के वैज्ञानिक निपु कुमार दास और एनए अरविंद ने की थी।
इस बारे में एटीआरईई ने ट्वीट भी किया।
दास और अरविंद ने ईमेल के जरिये बातचीत में पीटीआई-भाषा को बताया “हमने इस नई प्रजाति का नाम इस चूना पत्थर की गुफा, मावस्माई के नाम पर रखा है। हमने गुफा के प्रवेश द्वार के अंदर 4-5 मीटर नम चूना पत्थर की चट्टानों पर घोंघे एकत्र किए। हालांकि, वर्तमान में हम नहीं जानते कि यह प्रजाति एक सच्ची गुफा प्रजाति है या नहीं।”
इसी समूह (जीनस) का एक सदस्य, 'जियोरिसा सरिता', 170 साल पहले इसी क्षेत्र में खोजा गया था।
दोनों वैज्ञानिकों ने कहा कि ये प्रजाति जियोरिसा सरिता से थोड़ी अलग है, जिसे 1851 में ब्रिटिश भारत में एक सिविल सेवक और एक शौकिया मैलाकोलॉजिस्ट डब्ल्यूएच बेन्सन द्वारा प्रलेखित किया गया था।
नई प्रजाति पहले की तुलना में खोल के आकार में भिन्न है। इसके अलावा, जियोरिसा सरिता में सात की तुलना में खोल के शरीर के झुंडों पर इसकी चार बहुत ही प्रमुख सर्पिल पट्टियां हैं।
उन्होंने कहा कि अब तक मेघालय की गुफाओं से घोंघे की पांच प्रजातियां मिली हैं। यहां और भी प्रजातियां हो सकती है।
हालांकि, मेघालय अपनी गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन दोनों वैज्ञानिक चिंतित हैं कि पर्यटकों की भीड़ क्षेत्र की पारिस्थितिकी को प्रभावित कर सकती है।
दोनों ने कहा, "गुफा में एक बहुत ही अनूठा वातावरण है, जो अद्वितीय जीवों की विविधता को बरकरार रख सकता है। दक्षिण पूर्व एशियाई देशों और दुनिया के अन्य हिस्सों में गुफा जैव विविधता पर कई अध्ययन मौजूद हैं, जिसमें घोंघे सहित विभिन्न जानवरों की सूचना दी गई है, लेकिन भारतीय गुफाओं से बहुत कम अध्ययन हुए हैं।
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