पश्चिम बंगाल में NRC पर अफरा-तफरी, अब तक 8 लोगों की मौत, दहशत का माहौल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 25, 2019 16:22 IST2019-09-25T16:22:30+5:302019-09-25T16:22:30+5:30
तृणमूल कांग्रेस सरकार कह चुकी है वह इसकी अनुमति नहीं देगी। भाजपा शासित असम में अंतिम एनआरसी सूची से बड़ी संख्या में हिंदू बंगालियों के नाम बाहर रह जाने के कारण लोगों के बीच दहशत फैल गयी है और राज्य में अब तक 8 मौतें हो चुकी हैं।

4 लोगों ने पुराने दस्तावेज नहीं जुटा पाने के कारण खुदकुशी कर ली और चार लोग कतारों में ही गश खाकर मौत के शिकार हो गए।
एनआरसी लागू होने की आशंका के कारण कोलकाता और पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में सैकड़ों लोग मंगलवार को अपना जन्म प्रमाणपत्र और जरूरी दस्तावेज एकत्र करने के लिए सरकारी और निगम कार्यालयों में जुटे।
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस सरकार कह चुकी है वह इसकी अनुमति नहीं देगी। भाजपा शासित असम में अंतिम एनआरसी सूची से बड़ी संख्या में हिंदू बंगालियों के नाम बाहर रह जाने के कारण लोगों के बीच दहशत फैल गयी है और राज्य में अब तक 8 मौतें हो चुकी हैं।
शहर में कोलकाता नगर निगम (केएमसी) मुख्यालय और अन्य संभागीय कार्यालय तथा राज्य के अन्य हिस्सों में बीडीओ कार्यालयों के बाहर लंबी-लंबी कतारों में लोग भूमि और अन्य जरूरी दस्तावेज निकालने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। केएमसी मुख्यालय के बाहर अपनी बारी का इंतजार कर रहे 75 वर्षीय अजित रे ने कहा, ‘‘मैं अपना जन्म प्रमाणपत्र लेने के लिए केएमसी कार्यालय आया हूं क्योंकि बहुत पहले मैंने इसे खो दिया था।
मैंने सुना है कि बंगाल में एनआरसी लागू होने की स्थिति में इस देश का नागरिक साबित करने के लिए हमें अपने जन्म प्रमाण पत्र चाहिए होंगे।’’ केएमसी के भूमि अभिलेख विभाग के बाहर 55 वर्षीय विमल मंडल जमीन के कागजात निकालने आए थे। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न सरकारी और पंचायत कार्यालयों के बाहर की भी यही स्थिति है।
दक्षिण 24 परगना जिले के 25 वर्षीय खलीक मुल्ला ने कहा, ‘‘इस देश में जन्म लेने, पलने-बढ़ने के बावजूद अगर हमें विदेशी घोषित कर दिया गया तो हम क्या करेंगे। इस देश में जन्म लेने के संबंध में अपने पिता का दस्तावेज मैं कहां से लाउंगा।’’
सरकारी सूत्रों के मुताबिक जिले में अब तक 8 लोगों की मौत हो गयी है। 4 लोगों ने पुराने दस्तावेज नहीं जुटा पाने के कारण खुदकुशी कर ली और चार लोग कतारों में ही गश खाकर मौत के शिकार हो गए। कोलकाता के मेयर और वरिष्ठ मंत्री फरहाद हाकिम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम हर जगह लोगों से नहीं घबराने को कह रहे हैं। बंगाल में एनआरसी लागू नहीं की जाएगी। तृणमूल कांग्रेस सरकार ऐसा कभी नहीं होने देगी। जब तक तृणमूल कांग्रेस सरकार सत्ता में हैं एक भी व्यक्ति को नहीं छुआ जाएगा।’’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार को भाजपा पर एनआरसी को लेकर दहशत फैलाने का आरोप लगाया था। मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह राज्य में एनआरसी की प्रक्रिया नहीं होने देंगी।
हालांकि, प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस पर पश्चिम बंगाल में एनआरसी के संबंध में हिंदुओं के बीच दहशत फैलाने का आरोप लगाया । प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘‘राज्य में एनआरसी पर मौतों के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस ही जिम्मेदार होगी। हमने साफ कहा है कि दूसरे देशों से आने वाले हिंदुओं को नागरिकता (संशोधन) विधेयक के अंतर्गत नागरिकता दी जाएगी और फिर घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए एनआरसी लागू की जाएगी ।’’
एनआरसी के खौफ से हुईं मौतों को दोष हम पर नहीं मढ़ा जा सकता: भाजपा
भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने मंगलवार को कहा कि पार्टी का उन मौतों से कोई संबंध नहीं है जो कथित रूप से इस खौफ की वजह से हुईं कि राज्य में एनआरसी लागू किया जा सकता है। भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया कि यहां तक कि डेंगू से हुई मौतों को भी एनआरसी को लेकर खौफ से हुई मौतें बताया जा रहा है।
घोष ने हालांकि कहा कि अगर वे सत्ता में आए तो "बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों" से छुटकारा दिलाने के लिये राज्य में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करेंगे। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, "हमने एनआरसी को लेकर कोई खौफ पैदा नहीं किया। हमें जिम्मेदार ठहराना अनुचित है।
भाजपा ने असम में एनआरसी लागू नहीं की। यह उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुसार किया गया।’’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार को भाजपा पर एनआरसी को लेकर खौफ पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इसके चलते राज्य में 8 लोगों की मौत हुई है।
टीएमसी सरकार की ओर से इसे लागू नहीं करने के आश्वासन के बावजूद लोग भाग-दौड़ कर रहे हैं। भाजपा शासित असम में एनआरसी की अंतिम सूची से बड़ी संख्या में बंगालियों के नाम नहीं शामिल होने से लोगों में अफरा-तफरी का माहौल है और इससे राज्य में अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है।