तीन तलाक पर मोदी कैबिनेट के फैसले पर बरसे ओवैसी, बोले- संविधान का उल्लंघन करता है अध्यादेश
By जनार्दन पाण्डेय | Published: September 19, 2018 02:28 PM2018-09-19T14:28:04+5:302018-09-19T14:36:08+5:30
मोदी की कैबिनेट ने राज्यसभा में लंबित तीन तलाक विधेयक को अध्यादेश के जरिए मंजूरी दे दी। अब तीन तलाक संबंधित मामले अपराध की श्रेणी में आएंगे।
नई दिल्ली, 19 सितंबरः एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भारतीय सरकार की केंद्रीय कैबिनेट की ओर से तीन तलाक बिल को लेकर अध्यादेश को मंजूरी देने को असंवैधानिक देते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने की अपील की है। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "यह अध्यादेश असंवैधानिक है। यह अध्यादेश संविधान के बराबरी के अधिकार का उल्लघंन करता है। जैसा कि इसे फिलहाल केवल मुस्लिम महिलाओं के लिए बनाया गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और महिला संस्थाओं को इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी चाहिए।"
सामाचार एजेंसी एएनआई के ट्वीट के मुताबिक ओवैसी ने कहा है, यह अध्यादेश मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ हैं। इस अध्यादेश से मुस्लिम महिलाओं को न्याय नहीं मिलेगा। इस्लमा में शादी एक अनुबंध होती है। इसे किसी आपराधिक मामले से जोड़कर देखा जाना गलते है।
इससे पहले मोदी सरकार की केंद्रीय कैबिनेट ने तीन तलाक बिल के अध्यादेश को बुधवार को मंजूरी दे दी। अब ट्रिपल तलाक से संबंधित मामले आपराधिक कृत्य के अंतरगत रखी जाएंगी।
This ordinance is against the Muslim women. This ordinance will not provide justice to the Muslim women. In Islam, marriage is a civil contract and bringing penal provisions in it is wrong: Asaduddin Owaisi on Cabinet approving an ordinance on #TripleTalaqpic.twitter.com/tq00plwfcr
— ANI (@ANI) September 19, 2018
यह बिल अभी राज्यसभा में लंबित है। इस बार मॉनसून सत्र में भारतीय सरकार इसे पास नहीं करा सकी थी। जबकि लोकसभा में यह पिछले साल दिसंबर में ही पारित कर दिया गया था।
लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पारित होने पर ये थी ओवैसी की राय
ओवैसी ने कहा कि विधेयक मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है। तीन तलाक पीड़ित महिला के भरण-पोषण के अधिकार के प्रावधान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा कानूनी ढांचे में सामंजस्य का आभाव है। विधेयक में कहा गया है कि पति को जेल भेजा जाएगा व इसमें यह भी कहा गया कि वह गुजारा भत्ता देगा...कैसे एक व्यक्ति जो जेल में है वह गुजारा भत्ता देगा? विधेयक पर पर्याप्त सलाह नहीं ली गई है। यह मुस्लिम महिला से अन्याय होगा... एक कानून बनाइए जिसमें दूसरे धर्मों की 20 लाख महिलाओं को जिन्हें त्याग दिया गया, उन्हें न्याय मिले। इसमें हमारी गुजरात की भाभी भी शामिल हैं।