लोकसभा में मुस्लिम समाज से जुड़ी एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से लाए गए विधेयक पर गुरुवार को चर्चा हुई। भारतीय जनता पार्टी ने तीन तलाक विधेयक को संसद में पेश किया। इसके लिए बीजेपी ने व्हिप जारी की थी। इस व्हिप में बीजेपी में सभी सांसदों को मौजूद रहने के लिए कहा गया था। वहीं, तीन तलाक की बहस को लेकर कांग्रेस ने भी व्हिप जारी की थी। कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने को कहा था। संसद में तीन तलाक पर बहस की पल-पल अपडेट्स की lokmatnews.in पर...
- लोकसभा में पास हुआ तीन तलाक बिल, पक्ष में 245 वोट पड़े।
- तीन तलाक पर बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने तंज कसा कहा- शर्म तो आपको आनी चाहिए। - लेखी ने कविता कहते हुए कहा कि कभी संगीन कभी मजाक बन जाएगा, मिट्टी का शरीर खाक बन जाएगा, जरा एतिहात बरत रकीब मेरे, ना जाने कौन सा टेलीफोन तलाक बन जाएगा।।- लोकसभा में तीन तलाक पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच बहस जारी है। - रविशंकर ने कहा कि तीन तलाक पर FIR का दुरुयोग नहीं होगा। - यह महिलाओें को सम्मान देने का बिल है। किसी के खिलाफ दुर्भावना नहीं है।
- सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने व्हिप जारी कर दिया है। खबर के मुताबिक कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने को कहा है।
पिछले सप्ताह सदन में इस पर सहमति बनी थी कि 27 दिसंबर को विधेयक पर चर्चा होगी। इससे पहले कांग्रेस ने इस पर सहमति जताई थी कि वह ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ पर होने वाली चर्चा में भाग लेगी।
दरअसल, लोकसभा में पिछले हफ्ते जब मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2018 चर्चा के लिए लाया गया तो सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुझाव दिया कि इस पर अगले हफ्ते चर्चा कराई जाए।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी। इस पर खड़गे ने कहा, 'मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस विधेयक पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए। हम सभी इसमें हिस्सा लेंगे। हमारी पार्टी और अन्य पार्टियां भी चर्चा के लिए तैयार हैं।'’ खड़गे के इस बयान पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था, ‘‘खड़गे जी ने सार्वजनिक वादा किया है और हमें 27 दिसंबर को चर्चा कराने में कोई समस्या नहीं है। मैं अनुरोध करता हूं कि चर्चा खुशनुमा और शांतिपूर्ण माहौल में हो।'’
तीन तलाक को दंडात्मक अपराध घोषित करने वाला यह विधेयक गत 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। यह तीन तलाक से संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है। इस प्रस्तावित कानून के तहत एक बार में तीन तलाक देना गैरकानूनी और अमान्य होगा तथा इसके लिए तीन साल तक की सजा हो सकती है।
कुछ दलों के विरोध के मद्देनजर सरकार ने जमानत के प्रावधान सहित कुछ संशोधनों को मंजूरी प्रदान की थी ताकि राजनीतिक दलों में विधेयक को लेकर स्वीकार्यकता बढ़ सके। विधेयक पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय की ओर से गैरकानूनी करार दिए जाने के बावजूद तीन तलाक की प्रथा नहीं रुक रही है।
(भाषा एजेंसी से इनपुट)