तृणमूल सांसद ने राजकीय चिन्ह विवाद में केंद्र सरकार से मूल प्रतीक और नये प्रतीक की 3डी कम्प्यूटराइज्ड जांच की मांग की
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: July 16, 2022 20:50 IST2022-07-16T20:45:19+5:302022-07-16T20:50:23+5:30
तृणमूल सांसद जवाहर सरकार ने राजकीय प्रतीक विवाद के संबंध में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी को लिखे पत्र में कहा कि केंद्र सरकार से इस मामले में बहुत अधिक गलती हो गई है, जिसे किसी भी तरीके से छुपाया नहीं जा सकता है।

तृणमूल सांसद ने राजकीय चिन्ह विवाद में केंद्र सरकार से मूल प्रतीक और नये प्रतीक की 3डी कम्प्यूटराइज्ड जांच की मांग की
कोलकाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश की नई संसद भवन के ऊपर अनावृत किये गये राजकीय प्रतीक के कथितरूप से विरूपित होने के विवाद में आज एक और नई मांग जुड़ गई है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार ने इस मामले में शनिवार को केंद्र सरकार से अपील की कि वह वाराणसी के सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ के मूल प्रतीक से नई प्रतीक की 3डी कम्प्यूटराइज्ड जांच कराए।
तृणमूल सांसद सरकार द्वारा इस मामले में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी को लिखे पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार से इस मामले में बहुत अधिक गलती हो गई है, जिसे किसी भी तरीके से छुपाया नहीं जा सकता है। सरकार इस मामले में प्रतीक चिन्ह बनाने वाले कलाकार के चयन की प्रक्रिया, उसका संक्षिप्त विवरण और प्रतीक चिन्ह पर आने वाली लागत के विवरण को मुहैया कराये ताकि ये देखा जा सके कि इसे बनाने में किन प्रक्रियाओं का पालन किया गया है।
इसके साथ सांसद सरकार ने अपनी चिट्ठी में इस बात का भी उल्लेख किया है कि सरकार उन्हें इस बात की जानकारी दे कि क्या उसने नई संसद भवन के संबंध में दिल्ली शहरी कला आयोग और विरासत संरक्षण समिति द्वारा कलाकृति की मंजूरी ली थी।
मालूम हो कि इस सप्ताह की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय प्रतीक चार मुह वाले सिंह का अनावरण किया था। इसके बाद से विवाद उठने लगा था कि नया प्रतीक चिन्ह कथित रूप से वैसा नहीं है, जैसा की भारत सरकार पूर्व में प्रयोग करती रही है।
तृणमूल के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने दावा किया कि जो प्राचीन मूल अशोक चिन्ह है, उसमें दर्शाया गया शेर सुंदर, शांत और सभ्य दिखाई देता है, जबकि नये वाले प्रतीक चिन्ह में शेर की आकृति "झुंझलाने वाले, आक्रामक और अनुपातहीन है।
इस मामले में विपक्षी नेताओं की आलोचना के बाद केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सफाई पेश करते हुए कहा था कि नए संसद भवन के ऊपर लगाए गए विशाल राष्ट्रीय प्रतीक का विरोध करने वालों को पहले दोनों आकृतियों की तुलना करते समय कोण और ऊंचाई को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजकीय चिन्ह ठीक वैसा ही है, जैसा पहले था।
सांसद सरकार ने अपनी चिट्ठी में कहा कि पिछले 65 सालों में "बेंगलुरु में विधानसभा के शीर्ष पर लगे विशाल राजकीय चिन्ह" के साथ ऐसा कोई विवाद तो नहीं हुआ है। इसलिए इस मामले में हमें मूल प्रतीक से नई प्रतीक की 3डी कम्प्यूटराइज्ड तुलना करके इस विवाद को शांत करने की जरूरत है।
सरकार ने अपने पत्र में कहा कि सरकार और विपक्षी दलों के बीच यह स्पष्ट मतभेद है कि दोनों मूर्तियां समान हैं, इसलिए इसका सबसे कारगर तरीका है कि दोनों प्रतीकों की 3डी कम्प्यूटराइज्ड जांच करा ली जाए, ताकि डिजाइन में अगर कोई भेद है तो उसे आसानी से पहचाना जा सके।
उन्होंने कहा कि सारनाथ वाले राजकीय प्रतीक के मूल मॉडल से नये मॉडल में कई अन्य तरह के भी विचलन हैं, जिन्हें समझने के लिए 3डी छवियों की तुलनात्मक अध्ययन करने की आवश्यकता है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)