जनजातीय गौरव दिवस: भाजपा व कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के आदिवासी वोट को ध्यान में रखकर किए आयोजन

By भाषा | Updated: November 15, 2021 22:40 IST2021-11-15T22:40:33+5:302021-11-15T22:40:33+5:30

Tribal Pride Day: BJP and Congress organized events keeping in mind the tribal vote of Madhya Pradesh | जनजातीय गौरव दिवस: भाजपा व कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के आदिवासी वोट को ध्यान में रखकर किए आयोजन

जनजातीय गौरव दिवस: भाजपा व कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के आदिवासी वोट को ध्यान में रखकर किए आयोजन

भोपाल/ जबलपुर, 15 नवंबर मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा और कांग्रेस ने सोमवार को जनजाति समाज के नायक बिरसा मुंडा की जयंती मनाकर आदिवासियों के कल्याण के वादे कर इस समुदाय के वोट बैंक को अपने पाले में करने की कोशिश की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस के तौर पर सोमवार को एक वृह्द आदिवासी सम्मेलन को संबोधित किया। सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए।

वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने जबलपुर में कांग्रेस द्वारा आयोजित एक आदिवासी कार्यक्रम में कहा कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो आदिवासियों की स्थिति में सुधार होगा।

अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि आंबेडकर जयंती, गांधी जयंती और इसी तरह के अन्य दिनों की तरह, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती हर साल 15 नवंबर को मनाई जाएगी।

भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम गोंड रानी के नाम पर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन करने वाले मोदी ने सत्ता में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान आदिवासियों की उपेक्षा करने के लिए कांग्रेस की खिंचाई की।

राजनीतिक पर्यवेक्षक भोपाल के इस आयोजन को आदिवासियों को अपने पाले में लाने के लिए भाजपा के प्रयास के रूप में देख रहे हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में जनजातीय समाज का वोट चुनाव में निर्णायक होता है।

जबलपुर में कमलनाथ ने एक आदिवासी सभा को संबोधित किया और मुख्यमंत्री चौहान के 15 साल के शासन में आदिवासी समुदाय के लोगों को बहुत देर से याद करने के लिए उनपर निशाना साधा।

कमलनाथ ने कटाक्ष किया, ‘‘ चौहान ने बिरसा मुंडा की जयंती मनाई। इस आयोजन में ठेकेदारों ने कुर्सियों और टेंट की व्यवस्था की और प्रशासनिक ठेकेदार (सरकारी अधिकारी) भीड़ की व्यवस्था कर रहे थे।’’

आजादी के आंदोलन में बिरसा मुंडा के बलिदान को याद करते हुए कमलनाथ ने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो आदिवासियों की स्थिति में सुधार होगा।

गौरतलब है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, प्रदेश की कुल 7.26 करोड़ आबादी में से आदिवासियों की संख्या 1.53 करोड़ या 21.08 प्रतिशत है। मध्य प्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि प्रदेश की 35 अन्य विधानसभा सीटों पर आदिवासियों के कम से कम 50 हजार वोट हैं। इसलिए यह वर्ग 2023 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर चुनाव में बड़ा असर डाल सकता है। वर्ष 2003 में भाजपा ने इन 41 अनुसूचित जनजाति की सीटों में से 37 सीटें जीतकर दिग्विजय सिंह की कांग्रेस सरकार को दस साल बाद सत्ता से बेदखल करने में कामयाबी हासिल की थी।

वहीं, 2008 के विधानसभा चुनावों में जब परिसीमन के बाद अनुसूचित जनजाति की सीटों को बढ़ाकर 41 से 47 कर दिया गया तो भाजपा ने इनमें से 41 पर जीत हासिल कर इस वर्ग में अपनी पैठ बरकरार रखी। भाजपा ने 2013 के विधानसभा चुनावों में 47 में से 31 सीटें जीतकर इस उपलब्धि को दोहराया।

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आदिवासी समाज की 47 सीटों में से 31 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद सत्ता के मार्ग पर भाजपा को पराजित करने में सफल रही थी।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि भाजपा के लिए 2003 में सत्ता में आने का एक बड़ा कारण वर्ष 2002 में झाबुआ में आयोजित विशाल हिन्दू सम्मेलन था जिसमें दो लाख से अधिक आदिवासियों ने भाग लिया था।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि सोमवार के आदिवासी सम्मेलन की योजना उसी तर्ज पर बनाई गई जान पड़ती है ताकि भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल कर सके।

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Web Title: Tribal Pride Day: BJP and Congress organized events keeping in mind the tribal vote of Madhya Pradesh

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