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आदिवासी सलाहकार परिषद का भाजपा नेताओं ने बहिष्कार किया, सोरेन ने सर्वांगीण विकास की बात की

By भाषा | Updated: June 29, 2021 01:40 IST

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रांची, 28 जून झारखंड सरकार द्वारा पुनर्गठित आदिवासी सलाहकार परिषद (टीएसी) की पहली बैठक की सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अध्यक्षता की और परिषद की सलाह से राज्य में आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए काम करने की बात कही। हालांकि, परिषद के गठन को ही असंवैधानिक एवं मनमाना बताकर भाजपा के सभी सदस्यों ने इसकी बैठक का बहिष्कार किया।

झारखंड सरकार ने सोमवार रात्रि जारी विज्ञप्ति में बताया कि आदिवासी सलाहकार परिषद को पुनः सक्रिय करने के निमित्त आज ऑनलाइन मंच पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से नव गठित परिषद की बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें परिषद के पदेन अध्यक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने परिषद की सलाह से आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए काम करने की बात कही।

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों का विकास होगा तभी झारखण्ड को अग्रणी राज्य की श्रेणी में खड़ा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य को अलग पहचान दिलाने के लिए आदिवासियों की भूमिका तय करनी होगी।

जनजातीय समुदाय के लिए बेहतर कार्य योजना तैयार करने में परिषद मददगार साबित होगी।

सोरेन ने कहा, ''आदिवासियों को राज्य का सर्वांगीण विकास का हिस्सा बनाने के लिए कई मानकों को तय करना है। सभी सदस्यों का सुझाव इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हमें मिलकर योजनाबद्ध तरीके से विकास की मुख्यधारा से आदिवासी समुदाय को जोड़ना है।''

इस बीच, मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आदिवासी सलाहकार परिषद के गठन को असंवैधानिक और अपूर्ण करार देते हुए घोषणा कि इसकी बैठकों में भाजपा के सदस्य भाग नहीं लेंगे।

बाबूलाल मरांडी ने प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची का उल्लंघन करते हुए हेमंत सरकार ने टीएसी का गठन किया है। हेमंत सरकार मनमानी करने पर उतारू है। नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए टीएसी का गठन किया गया है।

उन्होंने कहा कि आदिवासी सलाहकार परिषद की मूल भावना जनजातीय समाज के सर्वांगीण विकास के लिये सरकार को सलाह देना इसीलिए इसके अध्यक्ष का पद जनजाति समाज से ही बनाया जाना चाहिये ना कि पदेन राज्य के मुख्यमंत्री को।

मरांडी ने कहा कि परिवर्तित नियमावली में मूल भावना के विपरीत प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि परिषद में महिलाओं को भी स्थान मिलना चाहिए था। साथ ही आदिम जनजाति सदस्य को भी सदस्य बनाना चाहिए था परंतु इसका ध्यान इसमें नही रखा गया है।

मरांडी ने कहा कि राज्यपाल के अधिकारों का भी हनन करते हुए टीएसी का गठन किया गया है। इन विसंगतियों पर पार्टी ने छह जून को महामहिम राज्यपाल से मुलाकात कर ज्ञापन भी सौंपा है परंतु सरकार मनमानी करने पर आमादा है।

उन्होंने कहा कि जब तक नियमावली में सुधार नहीं होगा टीएसी की बैठक में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य शामिल नहीं होंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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