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जम्मू-कश्मीर में दिल को मोह लेने वाले पर्यटन स्थल अब पुकार रहे हैं टूरिस्टों को...

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: February 27, 2021 14:34 IST

कश्मीर आने के लिए कोई भी कारण दिमाग में रखा जा सकता है। धरती पर जन्नत देखनी है तो कश्मीर, अप्रैल-मई के अंत तक बर्फ देखनी है तो कश्मीर, झीलों के पानी पर तैरते हाउसबोटों और शिकारों में बैठ चांदनी रात में चांद को निहराना है तो भी कश्मीर। और न जाने कितने कारण हैं।

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ठळक मुद्देजम्मू-कश्मीर उत्तर भारत का एक ऐसा राज्य है, जहां पर्यटन की संभावनाएं बहुत ही प्रबल है। हालांकि 26 सालों से चल रहे आतंकवाद के कारण सब कुछ छिन्न-भिन्न हो चुका है।

जम्मू, 27 फरवरी। जब भी दिमाग में बर्फीली वादियों, झीलों और कल-कल बहते झरनों की तस्वीर उभरती है तो किसी का भी ध्यान बरबस कश्मीर की ओर ही खींचा चला आता है। आप यकीन मानिए कश्मीर आज भी उतना ही खूबसूरत है जितना कभी पहले था। और सबसे बड़ी बात यह कि यह अब ‘सुरक्षित’ भी है।

माना कि वर्ष 1989 के मध्य में शुरू हुए पाक प्रायोजित आतंकवाद ने कश्मीर को पर्यटनस्थलों की सूची से कभी दूर कर दिया था पर आंकड़े बताते हैं कि बमों के धमाकों और गोलियों की बरसात के बीच भी कश्मीर आने वालों के कदम कभी रूके नहीं थे। आखिर रूकते भी कैसे क्योंकि कश्मीर में आतंकवाद का जितना डर आज बाकी है उससे कहीं ज्यादा तो देश के बड़े-बड़े शहरों में है। अब इक्का दुक्का घटना को नजरअंदाज किया जाने लगा है सिर्फ स्थानीय लोगों द्वारा ही नहीं बल्कि कश्मीर आने वाले लाखों पर्यटकों द्वारा भी।

कश्मीर आने वालों का आकर्षण सिर्फ बर्फ ही नहीं है बल्कि सारा साल कश्मीर आने वालों का अब तांता लगा रहता है। देशभर में जब गर्मियां अपने यौवन पर होती हैं तो पहाड़ों की ठंडक लेने की खातिर कश्मीर वादी की ओर मुढ़ने वाले पर्यटकों के कदम जल्द वापस जाने को तैयार ही नहीं होते। यही कारण है कि दो-चार दिन का कार्यक्रम बना कर कश्मीर आने वाले अक्सर अपने कार्यक्रम में बदलाव कर इसे अब 7 से 8 दिनों तक ले जाने लगे हैं। कारण स्पष्ट है कि कश्मीर में सिर्फ राजधानी शहर श्रीनगर ही खूबसूरत नहीं है बल्कि खूबसूरत और रमणीक स्थलों की सूची बहुत लंबी है।

कश्मीर में अनेकों ऐसे स्थान हैं जिनको देखे बिना कश्मीर की यात्रा पूरी नहीं हो सकती। श्रीनगर शहर को ही अगर अच्छी तरह से देखना हो या फिर विश्व प्रसिद्ध डल झील में ही नौका विहार या हाउसबोट का मजा लेना हो तो दो दिन भी कम पड़ते हैं। ऐसे में कश्मीर आकर बर्फ का नजारा लेने के लिए गुलमर्ग की सैर किए बिना धरती के स्वर्ग की यात्रा कभी पूरी नहीं हो सकती।

विश्व के प्रसिद्ध हिल-स्टेशनों में गुलमर्ग एक माना जाता है। अगर सोनामर्ग को सोने की घाटी कहा जता है तो इसे फूलों की घाटी। यहीं पर देश के सर्दियों की खेलें होती हैं क्योंकि यह अपनी बर्फ के लिए भी प्रसिद्ध है। हालांकि सारा साल आप जहां जा सकते हैं लेकिन अक्तबूर से मार्च का मौसम सबसे बढ़िया रहता है। गुलमर्ग में अब तो बर्फ के नजारे लगभग सारा साल ही रहने लगे हैं क्योंकि गंडोला के कारण आने वाले पर्यटक भारत-पाक एलओसी के करीब तक जा सकते हैं जहां सारा साल बर्फ ही बर्फ होती है।

यह तो कुछ भी नहीं, मौसम के बदलते मिजाज के कारण अक्सर जून में भी गुलमर्ग में बर्फबारी का नजारा लिया जा सकता है। एक समय था कि भयानक सर्दी के मौसम में गुलमर्ग आने वाले नाममात्र के ही होते थे पर अब तो भयानक बर्फबारी देखने के लिए एकत्र होने वाली भीड़ का आलम यह है कि दिसम्बर और जनवरी में भी गुलमर्ग में कमरों की कमी खलने लगी है।

मात्र एक गुलमर्ग ही नहीं है कश्मीर वादी अर्थात धरती के स्वर्ग पर पर्यटकों के लिए। बर्फ से लदी पहाड़ियां, फूलों से गुलजार बाग-बगीचे, दिल को मोह लेने वाला टयूलिप गार्डन, हरी भरी वादियां, झीलें और झरने, यह सब धरती के स्वर्ग में बहुतयात में होने के कारण ही आज भी कश्मीर को जन्नत कहा जाता है। अगर वह सब कुछ आपको कश्मीर में मिल रहा है जिसकी तस्वीर आपके जहन में बसी है तो फिर देर किस बात की है। चले आईए कश्मीर में स्वर्ग सा आनंद और जन्नत का नजारा लेने की खातिर। बर्फ अभी भी है पहाड़ों पर। शायद आपका ही इंतजार कर रही है।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरभारत
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