नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की संसद की सदस्यता रद्द किए जाने पर देश के अलग-अलग हिस्सों में मंगलवार को मशाल मार्च निकाला गया है। ये मशाल मार्च केरल और झारखंड समेत देश के कई और हिस्सों में निकाला गया है। इस मशाल मार्च में कांग्रेस के पुरुष और महिला कार्यकर्तओं ने भी हिस्सा लिया है।
ऐसे में इस मार्च के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी भी की है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने केरल और झारखंड के जुलूस का वीडियो जारी किया है जिसमें हाथ में मशाल लिए कांग्रेस के महिला और पुरुष कार्यकर्ताओं को देखा गया है। कांग्रेस के कई बडे़ नेताओं ने भी राहुल गांधी की सांसदी जाने को लेकर बोला है और इस मुद्दे पर सवाल भी उठाया है।
केरल और झारखंड में निकला मशाल मार्च
न्यूज एजेंसी एएनआई द्वारा जारी वीडियो में यह देखा गया है कि कैसे केरल और झारखंड में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मशाल जुलूस निकाला है। इस मार्च में राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के समर्थन में नारे लगाए गए है। केरल वाले मार्च में युवा नेताओं द्वारा एक जगह खड़ा होकर मशाल के साथ नारे लगाए गए है। वहीं झारखंड के मार्च में महिलाएं हाथ में मशाल लिए हुए सड़कों पर चलती हुई दिखाई दी है।
वहीं पुरुष और महिला कार्यकर्ताओं को हाथ में बैनर व पोस्ट लिए हुए भाजपा के खिलाफ नारेबाजी करते हुए देखा गया है। झारखंड के मार्च में स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने भी हिस्सा लिया है और गाड़ियों से भी मार्च किया गया है। देश के कई और हिस्सों में इससे पहले भी राहुल गांधी के समर्थन में मार्च निकाले जा चुके है।
राहुल गांधी की सजा पर कमलनाथ और शशि थरूर ने क्या कहा
मानहानि मामले में दोषसिद्धि के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के घटनाक्रम को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ और लोकसभा सदस्य शशि थरूर ने मंगलवार को सवाल उठाए है। कमलनाथ ने कहा कि गांधी के कर्नाटक में चार साल पहले दिए गए बयान को लेकर मानहानि का मुकदमा गुजरात में चलाया गया जिसमें उन्हें सजा सुनाई गई और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया। कमलनाथ ने आगे कहा कि वह संगोष्ठी में मौजूद वकीलों से पूछना चाहते हैं कि गांधी के खिलाफ उठाए गए कदम सद्भावनापूर्ण हैं या दुर्भावनापूर्ण?
इस बीच, थरूर ने कहा कि कर्नाटक में वर्ष 2019 के दौरान दिए गए बयान में गांधी ने तीन-चार लोगों के नाम लेकर अपनी बात कही थी और उनके बयान का मतलब यह कतई नहीं था कि ‘‘मोदी’’ उपनाम वाले सभी लोग ‘‘चोर’’ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘गांधी के कथन के दोनों अभिप्राय समझे जाने चाहिए थे और उन्हें चेतावनी देकर उनके खिलाफ मामला खत्म किया जाना चाहिए था, लेकिन उन्हें (संबंधित कानूनी प्रावधान के तहत) दो साल की अधिकतम सजा सुनाई गई।’’
भाषा इनपुट के साथ