जीआईबी को बचाने को लेकर न्यायालय ने पूछा- हाई टेंशन विद्युत तार भूमिगत क्यों नहीं किए जा सकते
By भाषा | Updated: April 6, 2021 22:57 IST2021-04-06T22:57:36+5:302021-04-06T22:57:36+5:30

जीआईबी को बचाने को लेकर न्यायालय ने पूछा- हाई टेंशन विद्युत तार भूमिगत क्यों नहीं किए जा सकते
नयी दिल्ली, छह अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र, राजस्थान, और गुजरात सरकार से पूछा कि धरती पर उड़ने वाले सबसे बड़े और विलुप्तप्राय पक्षी ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ (जीआईबी) को बचाने के लिए हाई टेंशन बिजली के तारों को भूमिगत क्यों नहीं किया जा सकता।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूर्व आईएएस अधिकारी रणजीतसिंह तथा अन्य की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
याचिका में जीआईबी और ‘लेसर फ्लोरिकन’ पक्षियों की संख्या बढ़ाने के वास्ते आपातकालीन कदम उठाने के लिए न्यायालय के हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया था।
पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी शामिल थे।
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने पीठ को बताया कि हाई वोल्टेज वाले बिजली के तारों को भूमिगत करने में तकनीकी समस्या है।
मंत्रालय ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों में भी यह नहीं हो सका है। पीठ ने कहा, “आप बताइये कि हाई वोल्टेज लाइन भूमिगत क्यों नहीं हो सकती।”
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रणजीत सिंह और अन्य ने पक्षियों की इन दोनों प्रजातियों के संरक्षण और वृद्धि को लेकर तत्काल आपात प्रतिक्रिया योजना के लिए अदालत से निर्देश देने का आग्रह किया है।
उन्होंने अपनी याचिका में उल्लेख किया है कि पिछले 50 वर्षों में जीआईबी की संख्या 82 फीसदी तक घट गई है। वर्ष 1969 में इनकी संख्या जहां 1260 थी वहीं 2018 में ये 100-150 रह गईं।
जीआईबी को गोडावण, सोन चिरैया, सोहन चिडिया आदि नामों से भी जाना जाता है।
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