टीएन शेषन: IAS अधिकारी बनने के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी गए, पढ़ें भारत के शानदार अफसरशाह के बारे में सब कुछ

By रोहित कुमार पोरवाल | Published: November 11, 2019 03:43 AM2019-11-11T03:43:49+5:302019-11-11T03:43:49+5:30

भारत के 10 वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में टीएन शेषन का नाम पारदर्शिता और दक्षता के पर्याय के रूप में जाना गया जब वह जीवित याददाश्त में सबसे स्वच्छ चुनाव आयोजित करके देश की चुनावी प्रणाली पर अपने अधिकार की मुहर लगाने में कामयाब रहे।

TN Seshan Death: After becoming an IAS officer he went to Harvard University, Read unknown facts | टीएन शेषन: IAS अधिकारी बनने के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी गए, पढ़ें भारत के शानदार अफसरशाह के बारे में सब कुछ

भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन। (Image Courtesy: Wikipedia/Rishabh Tatiraju)

Highlightsटीएन शेषन 12 दिसंबर 1990 को भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त बने थे और 11 दिसंबर 1996 तक इस पद पर रहे।उनका पूरा नाम तिरुनेल्लई नारायण अय्यर शेषन था। वह तमुलनाडू कैडर के 1955 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी (आईएएस) थे।

भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का रविवार (10 नवंबर) को चेन्नई स्थित उनके आवास पर हृदय गति रुकने से निधन हो गया है। वह 86 वर्ष के थे। वह भारत के एक शानदार अफसरशाह रहे। शेषन के जीवन और उनकी उपलब्धियां युवाओं को प्ररित करती रहेंगी। 

टीएन शेषन 12 दिसंबर 1990 को भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त बने थे और 11 दिसंबर 1996 तक इस पद पर रहे। उनका पूरा नाम तिरुनेल्लई नारायण अय्यर शेषन था। वह तमुलनाडू कैडर के 1955 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी (आईएएस) थे। वह भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त थे। 1989 में वह भारत सरकार के 18वें कैबिनेट सचिव बने थे। सरकारी सेवाओं में योगदान के लिए उन्हें 1996 में रैमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला था। 

टीएन शेषन का जन्म 15 दिसंबर 1932 को केरल के पलक्कड़ जिले के तिरुनेल्लई में हुआ था। उन्होंने पलक्कड़ स्थित बेसल इंवनजेलिकल मिशन हायर सेकेंडरी स्कूल और गवर्नमेंट विक्टोरिया कॉलेज क्रमश: स्कूली शिक्षा और 12वीं की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से भौतिक विज्ञान से स्नातक किया।

ई श्रीधरन के रहे सहपाठी

मेट्रो मैन के नाम से विख्यात ई श्रीधरन पलक्कड़ में पढ़ाई के दौरान बीईएम हाई स्कूल और विक्टोरिया कॉलेज में टीएन शेषन के सहपाठी थे। दोनों काकीनदा के जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए चयनित हुए थे लेकिन श्रीधरन ने वहां पढ़ाई करना तय किया और शेषन पढ़ने के लिए मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज चले गए थे। 

जब उन्होंने आईएएस की परीक्षा पास की तो तीन साल तक मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में डिमॉन्सट्रेटर के तौर पर काम किया। इसके बाद वह एडवर्ड एस मेसन फैलोशिप पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए गए जहां से उन्होंने 1968 में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री प्राप्त की।

राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा

टीएन शेषन भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त बनने से पहले भारतीय सिविल सेवा पदानुक्रम में सबसे वरिष्ठ कैबिनेट सचिव के पद पर रहे और भारत के योजना आयोग के सदस्य भी रहे। 

1997 में उन्होंने भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा था लेकिन अपने प्रतिद्वंदी केआर नारायण से हार गए थे। 

चाहें वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों के लिए काम करने के दौरान हो या मीडिया का सामना करने के दौरान, वह अपने चुटीले बयानों के लिए जाने जाते थे।

17 अक्टूबर 2012 को, मद्रास उच्च न्यायालय ने चेन्नई में पचैयप्पा के ट्रस्ट को चलाने के लिए टीएन शेषन को अंतरिम प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया था। 

उनके कार्यकाल में चुनावों को 'शेषन बनाम नेशन' कहा जाने लगा

भारत के 10 वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में टीएन शेषन का नाम पारदर्शिता और दक्षता के पर्याय के रूप में जाना गया जब वह जीवित याददाश्त में सबसे स्वच्छ चुनाव आयोजित करके देश की चुनावी प्रणाली पर अपने अधिकार की मुहर लगाने में कामयाब रहे।

उनके कार्यकाल में किसी ने भी चुनाव के दौरान कानून का उल्लंघन करने की हिमाकत नहीं की।

उनके द्वारा किए जा रहे बदलाव कुछ राजनेताओं मीडिया साथियों रास नहीं आ रहे थे। उनके आलोचकों ने उन्हें अल-शेषन (अल्सेशियन) तक कहना शुरू कर दिया था। यहां तक कि उनके कार्यकाल में चुनावों को 'शेषन बनाम नेशन' कहा जाने लगा। 

टीएन शेषन के कार्यकाल की उपलब्धियां

सभी मतदाताओं के लिए मतदाता पहचान पत्र जारी करना।
चुनाव प्रक्रिया में सख्ती से कानून अमल में लाना। 
चुनाव आचार संहिता का पालन कराना। 
महिला और पुरुष उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की सीमा तय करना। 
चुनाव आयोग को प्रगतिशील और स्वायत्त निर्वाचन आयोग बनाना।

टीएन शेषन ने  इन कुप्रथाओं को हटाया

मतदाताओं को रिश्वत देना या डराना।
चुनाव के दौरान शराब वितरण।
चुनाव प्रचार के लिए आधिकारिक मशीनरी का इस्तेमाल।
मतदाताओं से जाति या सांप्रदायिक भावनाओं की अपील।
चुनाव प्रचार के लिए पूजा स्थलों का इस्तेमाल।
पूर्व लिखित अनुमति के बिना लाउडस्पीकर और तेज आवाज संगीत का इस्तेमाल।

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