औरंगाबाद, 19 मार्च महाराष्ट्र के गौताला ऑट्रमघाट वन्यजीव अभयारण्य में 1940 के बाद पहली बार एक बाघ देखा गया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि शिकार की तलाश में यहां से लगभग 330 किलोमीटर दूर यवतमाल के टिपेश्वर अभयारण्य से भटककर यह बाघ इस अभ्यारण्य तक पहुंचा है।
संभागीय वन अधिकारी विजय सतपुते ने पीटीआई-भाषा से कहा कि बाघ मूलत:इस क्षेत्र के निवासी हैं, लेकिन 1940 में लुप्त हो गये, हालांकि तेंदुओं की संख्या 25 हो गई है।
सतपुते ने कहा, "यह नर बाघ 11-12 मार्च के आसपास अभयारण्य में आया था और 15 मार्च को जंगल में लगे एक कैमरे के जरिए देखा गया था। यह बाघ टिपेश्वर क्षेत्र का है और हमने उसकी धारियों के माध्यम से यह पुष्टि की है। जिस रास्ते से बाघ यहां तक पहुंचा, उसकी पुष्टि नहीं की गई है।"
उन्होंने कहा, "हमने इस बाघ पर नजर रखने के लिए सात टीमों का गठन किया है। गौताला के पास शिकार करने के लिए काफी जानवर हैं, यही वजह है कि यह बाघ यहां आया है। हमने पाया है कि बाघ ने जंगली सूअर का शिकार किया है।"
महाराष्ट्र राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य यादव तार्ते पाटिल ने कहा कि बाघ पंढरकावड़ा, उमरखेड, तेलंगाना के कुछ हिस्सों, अकोला, ज्ञानगंगा (बुलढाणा), हिंगोली से होकर आया हो सकता है और अजंता पर्वत श्रृंखला के जरिए गौताला तक पहुँचा होगा।
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