कुलटाली (पश्चिम बंगाल), 28 दिसंबर पश्चिम बंगाल में दक्षिणी 24 परगना जिले के एक इलाके में भटककर पहुंच गये एक बाघ (रॉयल बंगाल टाइगर) को करीब एक सप्ताह की मशक्कत के बाद मंगलवार को पकड़ लिया गया जिससे स्थानीय लोगों को बड़ी राहत मिली।
अधिकारियों ने बताया कि जंगल को खंगालने के साथ ही एक क्षेत्र को जाल से घेरने के अलावा ड्रोन से निगरानी तक की गयी तथा ‘सीआरपीसी’ की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगायी गयी और वनकर्मी छह दिनों तक बाघ का पीछा करते रहे लेकिन बाघ पकड़े जाने से बचने के लिए एक गांव से दूसरे गांव भागता रहा और उसने एक नदी भी पार की।
उन्होंने बताया कि मैपिठ गांव में लोगों ने बाघ के पैरों के निशान नजर आने पर वनकर्मियों को सूचित किया लेकिन उसके बाद भी वह नहीं मिला। एक दिन बाद कुलटाली गांव में उसके पैरों के निशान देखे गये, तब वनकर्मियों ने उसे पकड़ने की कोशिश की लेकिन उसके बाद भी वह अगले तीन दिनों तक पुराने केल्ला जंगल में वनकर्मियों के साथ लुका-छिपी का खेल खेलता रहा।
अधिकारियों ने बताया कि जंगल को खंगाल लिया गया लेकिन बाघ नहीं दिखा। उसके बाद बाघ को पियाली नदी पार कर दोंगाजोरा के शेखपारा के निकटवर्ती जंगल में जाते देखा गया। उसके बाद भी बाघ दो दिनों तक गायब रहा। लेकिन वह अपनी दहाड़ से अपनी मौजूदगी का एहसास कराता था।
जिज्ञासु ग्रामीण बाघ की एक झलक पाने के लिए पेड़ों पर चढ़कर उसकी टोह लेने लगे। उसी बीच एक ग्रामीण पेड़ से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया तब प्रशासन ने क्षेत्र में निषेधाज्ञा लगा दी।
अधिकारियों के अनुसार सोमवार से तलाशी अभियान तेज किया गया एवं उसका पता लगाने के लिए ड्रोन की मदद ली गयी। वनक्षेत्र को नायलॉन के जाल से घेर दिया गया। कुछ जगहों पर जाल फटा नजर आया, जिससे संकेत मिला कि बाघ ने निकलने की कोशिश की होगी।
सोमवार को सूर्यास्त के बाद वनकर्मी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पैदल वनों में बाघ को ढूंढ़ने लगे। बाघ अपनी दहाड़ से अपने ठिकाने का संकेत दे रहा था और साथ ही यह भी इशारा कर रहा था कि वह भूखा है एवं थक गया है। अगली सुबह यानी मंगलवार सुबह को वह नदी तट पर नजर आया। फिर उसे ‘ट्रंक्विलाइजर’ की मदद से पकड़ लिया गया। उसे पुनर्वास केंद्र ले जाया गया। अगले तीन दिनों तक पशुचिकित्सक उसकी जांच करेंगे और यदि वे अनुमति देंगे तो उसे सुंदरबन के जंगल में छोड़ दिया जाएगा।
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