कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार क्षेत्र में घाघरा नदी से बाघ का शव मिला, तीन सदस्यीय निगरानी समिति गठित
By भाषा | Updated: October 10, 2021 19:35 IST2021-10-10T19:35:36+5:302021-10-10T19:35:36+5:30

कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार क्षेत्र में घाघरा नदी से बाघ का शव मिला, तीन सदस्यीय निगरानी समिति गठित
बहराइच (उत्तर प्रदेश), 10 अक्टूबर कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार क्षेत्र में घाघरा नदी से बाघ का शव मिलने के बाद वन विभाग ने तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय निगरानी समिति का गठन किया है।
कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार के प्रभागीय वनाधिकारी आकाशदीप बधावन ने रविवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वाइल्डलाइफ) ने भारतीय वन सेवा के (आईएफएस) के तीन वरिष्ठ अधिकारियों की एक निगरानी समिति गठित की है। समिति में देवीपाटन मंडल के मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) सुजोय बनर्जी, पीलीभीत टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर जावेद अख्तर और उत्तर प्रदेश के कंजरवेटर इन्डेंजर्ड स्पेसीज मनोज सोनकर शामिल हैं।
कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार क्षेत्र में घाघरा नदी से बाघ का शव बहता हुआ मिला था जिसके बाद विभागीय सक्रियता बढ़ गई है।
सूत्रों ने बताया कि समिति द्वारा घटनास्थल का निरीक्षण कर आस-पास के इलाके का ड्रोन से सर्वे कराया गया है। उन्होंने बताया कि भारत में उपलब्ध डेटा के साथ मिलान कर बाघ की पहचान नहीं होने पर नेपाल फॉरेस्ट का डाटाबेस मंगाया जा सकता है।
जिला वन अधिकारी ने बताया कि निगरानी समिति ने मौके पर जाकर बाघ का शव देखे जाने से लेकर अभी तक हुई कार्रवाई की पूरी विस्तृत जानकारी ली और आसपास के इलाके का ड्रोन कैमरे से गहन निरीक्षण किया।
बधावन ने बताया कि बाघ के शव का कतर्नियाघाट वन रेंज कार्यालय में विशेषज्ञों व वरिष्ठ अधिकारियों ने निरीक्षण किया, उनका निष्कर्ष है कि बाघ पूर्ण वयस्क है और उसकी उम्र 8 से 9 वर्ष है।
उन्होंने बताया कि निरीक्षण में बाघ के शरीर पर किसी प्रकार की बाहरी खरोंच अथवा चोट के निशान नहीं मिले हैं। तीन पशु चिकित्सकों के पैनल द्वारा पोस्टमार्टम किया जा रहा है, रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के वास्तविक कारण का पता चल सकेगा। डीएफओ ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद बाघ का विसरा आईवीआरआई बरेली भेजा जाएगा।
इस संबंध में केंद्रीय वन मंत्रालय में तैनात मशहूर वन्यजीव विशेषज्ञ वरिष्ठ अधिकारी डॉ. रमेश पांडे ने आज ‘पीटीआई/भाषा’ से दूरभाष पर कहा, ‘‘बाघ विलुप्त होने की कगार खड़े वन्य जीव की श्रेणी में आता है। मानकों के अनुसार स्वाभाविक दिख रही बाघ की मृत्यु को भी अस्वाभाविक मौत की श्रेणी में रखकर ही जांच की जाती है।"
उन्होंने बताया, ‘‘हरेक बाघ के शरीर पर अपनी तरह की अलग-अलग धारियां होती हैं। बाघ की मौजूदगी वाले सभी जंगलों में कैमरे लगे हैं। कैमरा ट्रैप के रिकॉर्ड से मृत पाए गए बाघ के शरीर की धारियों का मिलान किया जाता है, जिससे उसकी पहचान होती है।
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