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‘पद्मश्री’ पुरस्कार के लिये राजस्थान से तीन नाम

By भाषा | Updated: January 26, 2021 20:25 IST

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जोधपुर, 26 जनवरी राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले एक संगीतकार, एक पर्यावरणविद् और एक जनजातीय लेखक का नाम इस साल के प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार के लिये घोषित हुआ है।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को घोषित पद्मश्री पुरस्कार पाने वालों की सूची में जोधपुर के सारंगी वादक लाखा खान, राजसमंद के रहने वाले पर्यावरणविद् श्याम सुंदर पालीवाल और पाली जिले के लेखक अर्जुन सिंह शेखावत का नाम भी शामिल है।

पद्मश्री के लिये अपना नाम चुने जाने की खबर सुनकर जोधपुर के रनेरी गांव के रहने वाले 71 वर्षीय लाखा खान को यकीन ही नहीं हुआ।

मांगनियार समुदाय से आने वाले खान पांच स्थानीय भाषाओं में गीत गाते हैं और राजस्थान के कर्णप्रिय संगीत को अपनी आवाज के जरिये दुनिया भर में पहुंचाते रहे हैं।

खान सिंधी सारंगी बजाने वाले अपने समुदाय के एक मात्र शख्स बचे हैं। वह हिंदी, मारवाड़ी,सिंधी, पंजाबी और मुल्तानी भाषा में गाना गा सकते हैं। खान पूर्व में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं।

खान ने कहा, “मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं और संगीत की सेवा करता रहूंगा तथा कला के इस स्वरूप को जिंदा रखने और आगे बढ़ाने के लिये आने वाली पीढ़ियों को प्रशिक्षित करूंगा।”

पाली जिले से आने वाले अर्जुन सिंह शेखावत (87) का चयन भी पद्मश्री पुरस्कार के लिये किया गया। सरकारी स्कूल से सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य शेखावत राजस्थानी और हिंदी में स्नातकोत्तर की उपाधि रखते हैं और उन्होंने 50 से ज्यादा किताबें लिखी और संपादित की हैं।

नौकरी के दौरान जनजातीय क्षेत्र में रहने की वजह से उन्हें जनजातीय लोगों के जीवन के अध्ययन का मौका मिला। इसके बाद शेखावत ने उन पर लिखना शुरू किया।

पर्यावरण के लिये काम करने को अपना ध्येय बना चुके श्याम सुंदर पालीवाल राजसमंद जिले के पिपलांत्री गांव से हैं। गांव के पूर्व सरपंच पालीवाल ने पेड़ लगाने और लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने में अपना जीवन व्यतीत किया है।

अपनी 16 साल की बेटी की असमय मृत्यु के बाद उन्होंने उसकी याद में वृक्ष लगाने शुरू किये। उन्होंने शुरुआत अपने गांव से की।

वह अपनी किरन निधि योजना की वजह से प्रसिद्ध हुए जिसके तहत गांव में पैदा होने वाली प्रत्येक लड़की के लिये आर्थिक सहायता करने के साथ ही वह उसके लिये 111 पेड़ भी लगाते हैं। इससे गांव के लिंगानुपात में तो सुधार हुआ ही गांव के भूजल स्तर में भी काफी इजाफा हुआ।

इस साल मार्च या अप्रैल में राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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