बिहार चमकी बुखार: 82% मृतक बच्चों के परिजन करते हैं मजदूरी, एक तिहाई परिवारों के पास राशन कार्ड भी नहीं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 24, 2019 11:13 AM2019-06-24T11:13:21+5:302019-06-24T11:13:21+5:30

नीतीश सरकार का दावा है कि बीमारों के लिए एम्बुलेंस सर्विस सुविधा है जबकि 84 परसेंट परिवारों ने बच्चों को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस की सुविधा न मिलने की बात कही।

three fourth of AES hit families in muzaffarpur fall below poverty line work as labourers claims bihar social audit survey | बिहार चमकी बुखार: 82% मृतक बच्चों के परिजन करते हैं मजदूरी, एक तिहाई परिवारों के पास राशन कार्ड भी नहीं

चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों की मौत का आंकड़ा 182 पहुंच गया है।

Highlightsतीन चौथाई परिजनों का कहना है कि चमकी बुखार के बारे में उन्हें कुछ नहीं पता था.बिहार में चमकी बुखार से 20 जिले प्रभावित हैं, सबसे ज्यादा मौतें मुजफ्फरपुर में हुई हैं.

बिहार में एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) से पीड़ित परिवारों का बिहार सरकार ने सोशल ऑडिट कराया है। इससे जो जानकारी निकलकर आई उसमें एक बात साफ हुई कि ज्यादातर पीड़ित परिवार बेहद गरीब हैं। अधिकतर परिवार मजदूरी पर आश्रित हैं। आंकड़ों की बात करें तो सर्वे में शामिल कुल परिवारों मेंं से 82 फीसदी परिवारों की आय मजदूरी के जरिए होती है। बिहार में चमकी बुखार से अब तक 182 बच्चों की मौत हो चुकी है।

रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित परिवारों में से 3/4 परिवार गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) कोटे में आते हैं। यह सर्वे चमकी बुखार से पीड़ित 287 परिवारों पर कराया गया है। इन परिवारों की औसत वार्षिक आय 52,500 रुपये तक है। हर महीने के हिसाब से इनकी आय देखें तो यह 4,465 रुपये होती है।

2011-12 में जारी की गई रंगराजन कमिटी की रिपोर्ट के मुतबिक ग्रामीण बिहार के लिए औसत गरीबी रेखा 971 रुपये प्रति महीने तय की गई है और इसी के आधार पर औसतन 5 सदस्यों वाले एक परिवार के लिए मासिक पारिवारिक आय 4,855 रुपये तय की गई है।

लगभग 8 साल पहले तय की गई इस मासिक पारिवारिक आय में अगर 2 परसेंट की औसतन महंगाई वृद्धि को जोड़ा जाए तो आज की तारीख में प्रति व्यक्ति आय 1,138 रुपये होना चाहिए। इस हिसाब से 2018-19 में 5 सदस्यों वाले परिवार की मासिक आय 5,700 रुपये होनी चाहिए।

लेकिन सर्वे रिपोर्ट कहती है कि 77 परसेंट परिवार ऐसे हैं जिनकी आय 5,770 रुपये से काफी कम है और इनके परिवारों में औसतन 6 से 9 तक सदस्य हैं। सोशल ऑडिट की रिपोर्ट कहती है कि इनमें से जिन परिवारों की आर्थिक स्थिति बेहतर है उनकी सालाना आय लगभग 1.6 लाख रुपये है।

चमकी बुखार से पीड़ित परिवारों की स्थिति का अदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इनमें से एक तिहाई परिवारों के पास राशन कार्ड भी नहीं है। हर छठे परिवार ने इस बात को स्वीकार किया कि पिछले महीने उन्हें कोई राशन नहीं मिला।

सर्वे में शामिल 287 परिवारों में से 200 परिवार या कहें कि 70 परसेंट परिवारों ने इस बात को माना कि बुखार का पता लगने के थोड़ी देर पहले तक उनके बच्चे धूप में खेल रहे थे और इनमें से 61 बच्चे ऐसे थे जिन्होंने बुखार आने से पहले वाली रात कुछ भी नहीं खाया था।

सर्वे में शामिल 191 परिवार कच्चे घरों में रहते हैं। 102 परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान मिले हैं। इनमें से 87 परसेंट परिवारों के पास पीने का शुद्ध पानी तो है लेकिन 60 परसेंट परिवारों के घर में शौचालय नहीं है।

सरकारी दावों की बात करें तो सरकार का दावा है कि बीमारों के लिए एम्बुलेंस सर्विस सुविधा है जबकि 84 परसेंट परिवारों ने बच्चों को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस की सुविधा न मिलने की बात कही। ज्यादातर परिवारों को इस बारे में जानकारी ही नहीं है कि सरकार की तरफ से मुफ्त एम्बुलेंस सुविधा भी है।

पीड़ित परिवारों में से 64 परसेंट ने इस बात को माना कि उनके घर के आसपास लीची के बगीचे हैं और अधिकतर का मानना है कि बीमार होने से पहले उनके बच्चों ने लीची खाई थी। तीन चौथाई पारिजनों का कहना है कि चमकी बुखार के बारे में उन्हें कुछ नहीं पता था और न ही उन्हें इसके इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बारे में पता था।

English summary :
Bihar Government has made social audits of families suffering from acute encephalitis syndrome (Chamki fever). The information that came out of this one thing clearly shows that most victims families are extremely poor. Most of the families are dependent on wages.


Web Title: three fourth of AES hit families in muzaffarpur fall below poverty line work as labourers claims bihar social audit survey

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