"वंशवाद की राजनीति करने वालों के लिए बड़ा झटका है", मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर हुए फैसले के बाद घेरा उद्धव ठाकरे को
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 11, 2024 07:03 AM2024-01-11T07:03:21+5:302024-01-11T07:07:43+5:30
शिवसेना पर स्पीकर राहुल नार्वेकर द्वारा फैसले सुनाने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह सच्चाई की जीत है, लोकतंत्र की जीत है।
मुंबई:महाराष्ट्र की राजनीति में दूरगामी असर डालने वाले शिवसेना विवाद पर बहुप्रतिक्षित फैसला देते हुए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने आखिरकार एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना घोषित कर दिया। इस फैसले से जहां एकनाथ शिंदे खेमे में खुशी लहर है, वहीं उद्धव ठाकरे खेमे में भारी मायूसी फैली हुई है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार स्पीकर द्वारा दिये गये निर्णय के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बीते बुधवार को उद्धव सेना और महाराष्ट्र की विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी पर जबरदस्त हमला बोला। सीएम शिंदे ने उद्धव गुट और एमवीए सहयोगी कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह फैसला लोगों के लिए करारा 'झटका' है, जो वंशवाद की राजनीति करते हैं।
स्पीकर के फैसले के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सीएम शिंदे ने कहा, "यह सच्चाई की जीत है, लोकतंत्र की जीत है। यह शिव की जीत है, सेना के कार्यकर्ताओं और महाराष्ट्र के लोगों की जीत है। लोकतंत्र में बहुमत मायने रखता है। इसलिए जैसा कि मैं देखता हूं यह निर्णय योग्यता पर आधारित है। कोई भी राजनीतिक दल को निजी संपत्ति के रूप में उपयोग नहीं कर सकता है। यह फैसला लोगों के लिए एक बड़ा झटका है, जो वंशवाद के जरिये राजनीति करते हैं।”
इस बीच महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा दायर क्रॉस याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया तो शिवसेना (शिंदे गुट) में खुशी की लहर छा गई।
पिछले साल जून में पार्टी में विभाजन के बाद प्रतिद्वंद्वी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली शिवसेना के दोनों गुटों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को अध्यक्ष ने घोषणा की कि जब विरोधी गुट उभरा तो शिंदे गुट ही असली शिवसेना थी।
स्पीकर ने अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए शिवसेना संविधान पर विस्तार से बात करते हुए कहा, "पक्ष प्रमुख के फैसले को राजनीतिक दल के फैसले के रूप में नहीं लिया जा सकता है।"
स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा, "मेरे विचार में साल 2018 नेतृत्व संरचना शिवसेना संविधान के अनुसार नहीं थी। पार्टी संविधान के अनुसार शिवसेना पार्टी प्रमुख किसी को भी पार्टी से नहीं हटा सकते। इसलिए जून 2022 में उद्धव ठाकरे द्वारा एकनाथ शिंदे को हटाया जाना शिवसेना संविधान के आधार पर स्वीकार नहीं किया जाता है।''
उन्होंने कहा, "इसके अलावा, 2018 के नेतृत्व ढांचे के सदस्यों की इच्छा राजनीतिक दल की इच्छा नहीं हो सकती है क्योंकि दोनों गुटों द्वारा नेतृत्व संरचना में बहुमत के बारे में विरोधाभासी विचार और दावे हैं। मेरे सामने मौजूद साक्ष्यों और रिकार्डों को देखते हुए प्रथम दृष्टया यह संकेत मिलता है कि 2013 के साथ-साथ 2018 में भी कोई चुनाव नहीं हुआ था।"
राहुल नार्वेकर ने कहा कि कौन सा गुट वास्तविक राजनीतिक दल है। इसके निर्धारण के लिए चुनाव आयोग द्वारा प्रदत्त संविधान ही शिवसेना का प्रासंगिक संविधान है।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुटों द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर 10 जनवरी तक अपना फैसला देने को कहा था। जून 2022 में शिवसेना के दोनों गुट आमने-सामने हो गए थे, जब एकनाथ शिंदे 37 विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए, जिसके कारण महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार गिर गई थी।