'संकल्प पत्र नहीं, बल्कि 'सॉरी पत्र' लाना चाहिए था': तेजस्वी यादव ने एनडीए के घोषणापत्र को बताया 'झूठ का संकल्प पत्र'
By एस पी सिन्हा | Updated: October 31, 2025 18:42 IST2025-10-31T18:42:40+5:302025-10-31T18:42:51+5:30
तेजस्वी यादव ने घोषणापत्र जारी करने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इतिहास में पहली बार किसी गठबंधन का घोषणा पत्र केवल 26 सेकंड में जारी किया गया, जो बिहार के प्रति उनके हल्के रवैये को दर्शाता है।

'संकल्प पत्र नहीं, बल्कि 'सॉरी पत्र' लाना चाहिए था': तेजस्वी यादव ने एनडीए के घोषणापत्र को बताया 'झूठ का संकल्प पत्र'
पटना: एनडीए के द्वारा द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव के लिए संयुक्त रूप से संकल्प पत्र जारी किए जाने पर महागठबंधन की और से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार राजद नेता तेजस्वी यादव ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उसे 'झूठ का संकल्प पत्र' करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें की गई आधी से ज़्यादा घोषणाएं उनके 'तेजस्वी प्रण' की सीधी नकल हैं। तेजस्वी यादव ने घोषणापत्र जारी करने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इतिहास में पहली बार किसी गठबंधन का घोषणा पत्र केवल 26 सेकंड में जारी किया गया, जो बिहार के प्रति उनके हल्के रवैये को दर्शाता है।
तेजस्वी यादव ने एनडीए पर हमला करते हुए कहा कि उन्हें बिहार की 14 करोड़ जनता के लिए संकल्प पत्र नहीं, बल्कि 'सॉरी पत्र' लाना चाहिए था। उन्होंने दावा किया कि एनडीए का मैनिफेस्टो असल में पिछले 20 साल से बिहार में किए जा रहे झूठ, धोखे और जुमलों का रिपोर्ट कार्ड मात्र है, और कुछ नहीं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि हर साल एनडीए का नया घोषणा पत्र आता है, जिसे देखकर उनकी पुरानी और अधूरी घोषणाएं पूछती हैं कि "भैया हमारा क्या हुआ? हमें क्यों पूरा नहीं किया?" यह सवाल उनके पिछले चुनावी वादों को पूरा न करने की विफलता को उजागर करता है।
तेजस्वी यादव ने एनडीए के संकल्प पत्र में शामिल कुछ बुनियादी वादों को लेकर भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने मिड डे मील में बच्चों को पौष्टिक आहार देने की घोषणा का जिक्र करते हुए कहा कि इसका सीधा मतलब है कि एनडीए सरकार अब तक बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं दे रही थी। उन्होंने जोर दिया कि यह तो एकदम बेसिक बात थी, जिसे 20 साल के शासन के बावजूद सरकार पूरा नहीं कर पाई।
तेजस्वी यादव ने इस घोषणापत्र को "20 साल के शोषण के बाद लाया गया एक जूनियर केजी वाला मैनिफेस्टो" करार दिया, जो यह दर्शाता है कि मूलभूत आवश्यकताएं भी पूरी नहीं की जा सकी हैं। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े वादे पर भी एनडीए को आड़े हाथों लिया। संकल्प पत्र में स्कूलों के कायाकल्प की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने पूछा कि इसका मतलब यही है कि पिछले बीस साल में इतना भी नहीं किया गया है।
उनके अनुसार, बीस वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद शिक्षा और अन्य बुनियादी क्षेत्रों की स्थिति में सुधार न कर पाना घोर विफलता है। तेजस्वी यादव ने कहा कि अपनी इन विफलताओं के लिए एनडीए गठबंधन को बिहार की जनता से सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी चाहिए। उनके इस पूरे बयान में एनडीए के 20 साल के शासन पर निराशा और उनकी घोषणाओं की विश्वसनीयता पर गहरा संदेह झलकता है।