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छत्तीसगढ़ में बंद का व्यापक असर, मुख्यमंत्री ने नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की

By भाषा | Updated: December 8, 2020 19:47 IST

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रायपुर, आठ दिसंबर केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के भारत बंद का छत्तीसगढ़ में व्यापक असर हुआ है। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इन कानूनों को रद्द करने की मांग की है।

किसानों के भारत बंद का छत्तीसगढ़ में व्यापक असर रहा। राज्य के सत्ताधारी दल ने इस बंद का समर्थन किया था। राजधानी रायपुर समेत दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर, कोरबा आदि शहरों में सार्वजनिक परिवहन लगभग बंद रहा, जबकि दवा दुकानों को छोड़कर लगभग सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान दोपहर दो बजे तक बंद रहे।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि राज्य के किसी भी हिस्से से अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है। राज्य में बंद शांतिपूर्ण रहा है।

छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी दल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता बंद को सफल बनाने के लिए सड़क पर निकले तथा लोगों से समर्थन का अनुरोध किया। वहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने रायपुर जिले के विभिन्न स्थानों पर कार्यकर्ताओं के साथ विरोध- प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

मरकाम ने राजधानी रायपुर में जय स्तम्भ चौक पर अपने दल के कार्यकर्ताओं के साथ ट्रैक्टर पर सवार होकर प्रदर्शन किया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दोपहर बाद यहां के राजीव भवन में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और कहा कि केंद्र सरकार इन तीन "काले" कृषि कानूनों को वापस ले तथा इसके लिए किसानों से माफी मांगे।

बघेल ने कहा कि पिछले दो सप्ताह से किसानों ने दिल्ली को घेरकर रखा है। सभी किसान संगठन इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।

केंद्र सरकार ने किसान संगठनों और राजनीतिक दलों से सलाह के बिना इन कानूनों को लागू किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून कॉरपोरेट घरानों को लाभान्वित करने और कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) कानून को रद्द करने के लिए है।

उन्होंने कहा कि पहले अंग्रेजों ने देश को लूटा और अब केंद्र में सरकार के व्यापारी मित्र देश को लूटने की कोशिश कर रहे हैं। यदि भाजपा किसानों के पक्ष में होती तो यह कानून लागू नहीं करती।

बघेल ने कहा कि कांग्रेस शुरू से ही इन कानूनों का विरोध कर रही है तथा मांग करती है कि केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए एक कानून बनाए कि किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता रहेगा। चाहे वह अपनी उपज कहीं भी बेचें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा को इन कानूनों को लेकर हठधर्मिता से काम नहीं लेना चाहिए। उन्हें अपनी गलती के लिए किसानों से माफी मांगनी चाहिए। केंद्र सरकार को संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए और तीनों कानूनों को निरस्त करना चाहिए।

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल के सदस्य संकेत ठाकुर ने बताया कि राज्य के 36 संगठनों ने बंद को अपना समर्थन दिया है। इनमें किसान, मजदूर और सामाजिक संगठन शामिल हैं। बंद के दौरान राज्य के कई स्थानों पर रैलियों का आयोजन किया गया।

ठाकुर ने कहा कि राज्य में धान की खरीदी की जा रही है। कुछ स्थानों पर किसानों ने दोपहर तीन बजे तक अपना धान नहीं बेचा और खरीद केंद्रों के सामने खड़े रहे।

इधर राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने सत्ताधारी दल कांग्रेस पर कृषि कानूनों को लेकर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है।

साय ने कहा कि कांग्रेस के इशारे पर प्रशासन के सहयोग से बंद कराया गया। उन्होंने कहा कि यह बंद कांग्रेस का किसानों के बीच भ्रम फैलाने तथा उनके किसान विरोधी चेहरे को छुपाने का हथकंडा मात्र है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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