बंगाल भाजपा में पुराने नेताओं और नए शामिल होने वालों के बीच दरार ने चिंता बढ़ाई

By भाषा | Published: March 4, 2021 05:17 PM2021-03-04T17:17:00+5:302021-03-04T17:17:00+5:30

The rift between old leaders and new entrants in the Bengal BJP raised concerns. | बंगाल भाजपा में पुराने नेताओं और नए शामिल होने वालों के बीच दरार ने चिंता बढ़ाई

बंगाल भाजपा में पुराने नेताओं और नए शामिल होने वालों के बीच दरार ने चिंता बढ़ाई

(प्रदीप्त तापदर)

कोलकाता, चार मार्च पश्चिम बंगाल चुनाव में केवल तीन सप्ताह रह गए हैं और ऐसे में भाजपा में जारी अंदरूनी कलह पार्टी के लिए चिंता का सबब बन गई है।

एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी ममता बनर्जी की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए पूरे दमखम से जुटी है, तो दूसरी तरफ पार्टी के पुराने नेताओं और नए शामिल हुए नेताओं में टिकट बंटवारे समेत कई मुद्दों पर खींचतान शुरू हो गई है।

पिछले कुछ वर्षों में बंगाल में जनाधार और वोट प्रतिशत में इजाफा करने वाले भगवा दल ने दूसरे दलों के नेताओं के लिए भी दरवाजे खोल दिए थे। चुनावी रणनीति के तहत कई अन्य दलों के वरिष्ठ नेताओं ने भी बंगाल में भाजपा का दामन थाम लिया।

भाजपा के सूत्रों ने कहा कि कई ऐसे वरिष्ठ नेता भी भगवा दल में शामिल हुए हैं, जिनके साथ पार्टी के पुराने नेताओं की उनके प्रतिद्वंद्वी दल में रहने के दौरान तनातनी रही थी।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, इस रणनीति को अपनाने से पार्टी को शुरू में फायदा मिला, जिसने तृणमूल कांग्रेस को डूबता जहाज करार दिया था। हालांकि, बाद में यह पार्टी में अंदरूनी कलह का कारण बनकर उभरा है।

उन्होंने कहा कि इससे भाजपा के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की छवि को नुकसान पहुंचा है क्योंकि शामिल होने वाले कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी ने हाल ही में अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए बड़े स्तर पर नेताओं को शामिल करना बंद कर दिया। हालांकि, तब तक नुकसान हो चुका था। साथ ही अब पार्टी को राज्य की 294 सीटों के लिए उचित उम्मीदवार का चयन करने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि करीब 8,000 लोग उम्मीदवारी का दावा ठोंक रहे हैं।

भाजपा नेता ने दावा किया, '' हमने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि दूसरे दलों के नेताओं को शामिल करने के बाद ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पडेगा। रोजाना पार्टी के पुराने नेताओं और नए शामिल हुए नेताओं में अंदरूनी कलह की बात सुनाई देती है। हमें चिंता है कि उम्मीदवारों के नामों की घोषणा होने के बाद यह असंतोष और बढ़ सकता है।''

वहीं, पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने जोर दिया कि इस समय पार्टी के आधार को विस्तार देने के लिए यह जरूरी था।

घोष ने कहा, '' भाजपा एक बड़ा परिवार है। जब परिवार बढ़ता है तो इस तरह की चीजें होती हैं। अगर हम अन्य दलों से नेताओं को शामिल नहीं करते तो पार्टी का विस्तार कैसे होगा? सभी को पार्टी के नियमों का पालन करना होना। कोई भी पार्टी से ऊपर नहीं है।''

भाजपा के सूत्रों ने बताया कि प्रदेश के कई नेताओं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अन्य दलों से कुछ निश्चित नेताओं को पार्टी में शामिल किए जाने को लेकर निराशा जाहिर की थी।

पिछले कुछ महीनों में प्रतिद्वंद्वी दलों से हजारों कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए हैं। तृणमूल कांग्रेस के 19 विधायकों समेत 28 विधायक भगवा दल का दामन थाम चुके हैं। राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद भी भाजपा के पाले में जा चुके हैं।

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Web Title: The rift between old leaders and new entrants in the Bengal BJP raised concerns.

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