नई दिल्ली:चीन की कम्युनिस्ट पार्टी व कांग्रेस पार्टी के बीच समझौते को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई। इसके बाद इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
सुनवाई को दौरान सीजेआई ने कहा कि यह पहली बार सुन रहा हूं कि किसी देश की एक पार्टी दूसरे देश की सरकार के साथ समझौता कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह कैसे संभव है कि एक राजनीतिक दल किसी दूसरे देश की सरकार के साथ कोई समझौता करे? इस सवाल के जवाब में याचिका कर्ता वकील ने कहा कि यह दो राजनीतिक दलों के बीच का मामला है।
इस समझौता में कोई सरकार शामिल नहीं है। इसके बाद सीजेआई ने कहा कि लेकिन आपने अपने याचिका में ऐसा तो नहीं लिखा है। याचिका में सुधार करने के साथ ही इस मामले की सुनवाई के हाई कोर्ट में अपील करने की बात कहकर इस मामले को सीजेआई ने खारिज कर दिया।
वकील ने कहा UAPA का मामला बनता है-
बता दें कि इस मामले पर सुनवाई के दौरान जब वकील की ओर से कहा गया कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला है और इसके तहत UAPA, NIA का अपराध बनता है। तो चीफ जस्टिस ने कहा कि आप हाईकोर्ट में जा सकते हैं।
इस मामले में वकील महेश जेठमलानी की ओर से यह भी कहा गया कि ये समझौता एक राजनीतिक दल का दूसरे देश के राजनीतिक दल से है। यह संभव है कि अपनी याचिका में सुधार कर वकील इस याचिका को लेकर हाई कोर्ट में जा सकते हैं।
कांग्रेस पार्टी ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ 2008 में समझौता किया था-
गौरतलब है कि पिछले दिनों भारत व चीन सीमा पर जारी विवाद के बीच भाजपा सरकार के केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी किसी सवाल को पूछने से पहले ये बताए कि 2008 में कांग्रेस पार्टी और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच क्या समझौता हुआ था। इसके बाद ही इस मामले ने तुल पकड़ लिया था।
ये समझौता 2008 में हुआ था जो दो राजनीतिक दलों के बीच में था। इसपर भारतीय जनता पार्टी की ओर से कांग्रेस को घेरा गया था और चीन के साथ होने का आरोप लगाया गया था। जिसके बाद राजनीतिक विवाद हुआ और केस सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।