महाकुंभ के बैसाखी शाही स्नान में श्रद्धालुओं की संख्या सिमटी
By भाषा | Published: April 14, 2021 11:28 PM2021-04-14T23:28:19+5:302021-04-14T23:28:19+5:30
देहरादून, 14 अप्रैल कोरोना की दूसरी लहर के बढ़ते खौफ के बीच हरिद्वार महाकुंभ के बैसाखी और मेष संक्रांति के पर्व पर तीसरे और मुख्य शाही स्नान में श्रद्धालुओं की संख्या 13—14 लाख के बीच सिमट गयी।
कुंभ मेला प्रशासन ने बताया कि शाही स्नान पर्व पर 13—14 लाख श्रद्धालुओं ने कुंभ क्षेत्र के विभिन्न गंगा घाटों पर स्नान किया।
श्रद्धालुओं की यह संख्या सोमवार को सोमवती अमावस्या के पर्व पर आए 25—30 लाख श्रद्धालुओं की संख्या की लगभग आधी और 2010 हरिद्वार महाकुंभ में बैसाखी के पर्व पर आए 1.60 करोड़ श्रद्धालुओं के मुकाबले लगभग चौदहवां हिस्सा ही है।
महाकुंभ मेले की व्यवस्था की स्वयं निगरानी कर रहे प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने भी माना कि कोविड के डर का असर महाकुंभ मेले पर पडा है जिसकी तस्दीक आंकडे खुद कर रहे हैं ।
मेलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि कोरोनावायरस संक्रमण के मददेनजर जिला स्वास्थ्य विभाग तथा मेले से जुडी अन्य एजेंसियों के माध्यम से प्रतिदिन लगभग पचास हजार जांच हो रही हैं।
कुंभ मेला पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल ने बताया कि मेला क्षेत्र की सीमाओं पर श्रद्धालुओं के कोविड प्रमाणपत्रों की सघन जांच हो रही हैं। उन्होंने कि प्रमाणपत्र न होने पर अब तक 56 हजार श्रद्धालुओं को सीमा से वापस लौटा दिया गया है।
महाकुंभ शाही स्नान के दौरान भी आने जाने वाले लोगों को पुलिस के जवान मास्क बांटते और सावधानी बरतने की सलाह देते नजर आए। हर की पैडी तथा अन्य घाटों पर महाकुंभ मेला प्रशासन ने सैनिटाइजर की मशीनें लगाई थीं।
प्रदेश में देश के अन्य हिस्सों की तरह कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ता जा रहा है। बुधवार को भी प्रदेश में कोविड-19 के 1953 नये मामले सामने आए जिनमें से 525 नए मरीज हरिद्वार में मिले।
अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि सहित 18 से अधिक संतों के कोरोना संक्रमित होने के बाद अन्य साधु संतों की भी कोविड जांच की जा रही है।
हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी शम्भू कुमार झा ने बताया कि मंगलवार तक पांच अखाड़ों में 500 साधुओं की कोरोना जांच की गयी जिनमें से 19 संत महामारी से संक्रमित मिले हैं।
हालांकि, सभी 13 अखाडों के साधु संतों ने पूरी श्रद्धा के साथ गंगा में डुबकी लगाई। वहीं हरिद्वार और ऋषिकेश के विभिन्न गंगा घाटों पर आम श्रद्धालुओं ने नदी में डुबकी लगाई।
सबसे पहले पंचायती अखाड़ा निरंजनी के साधु संत अपने पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के नेतृत्व में हर की पैडी ब्रहमकुंड पहुंचे जहां उन्होंने अपने इष्टदेव की पूजा अर्चना करने के बाद ‘‘हर—हर महादेव’’ और ‘‘गंगा मैया की जय’’ के उदघोष के साथ शाही स्नान किया। उनके साथ आनंद अखाड़े के संतों ने भी शाही स्नान किया।
इसके बाद सबसे ज्यादा नागा संन्यासियों वाले जूना अखाड़ा, अग्नि और आवाहन अखाड़े के संतों ने ‘‘हर हर महादेव’’ का जयघोष करते हुए पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज की अगुवाई में शाही स्नान किया। इनके साथ ही किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और अन्य संतों ने भी स्नान किया।
इसके बाद महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के संतजनों ने हर की पैडी ब्रहमकुंड में शाही स्नान किया।
इसके बाद शाही स्नान के लिए तीनों बैरागी अखाडे़—पंच निर्वाणी अणि अखाड़ा, पंच दिगम्बर अणि अखाड़ा और पंच निर्मोही अणि अखाड़े के संत हर की पैडी ब्रहमकुंड में पहुंचे।
पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन निर्वाण और इसके बाद श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा निर्वाण के साधु संतों ने स्नान किया। सबसे आखिर में निर्मल अखाड़ा के साधु संतों ने जयघोष करते हुए शाही स्नान किया।
शाही स्नान के लिए जाते साधु संतों पर उत्तराखंड सरकार की ओर से हेलीकॉप्टर से लगातार पुष्पवर्षा की जाती रही जिससे वातावरण काफी मनोहारी और दिव्य बन गया।
इससे पहले, सुबह सात बजे मेला प्रशासन ने मुख्य स्नान घाट हर की पैडी ब्रहमकुंड को पूरा खाली करा लिया जिससे पूरे दिन यहां सभी अखाड़ों के साधु संत शाही स्नान कर सकें। इसके अलावा, हर की पैडी के पास मालवीय घाट भी शाही स्नान के लिए आरक्षित रहा।
सुरक्षा की दृष्टि से 20 हज़ार से भी अधिक पुलिस बलों के जवान और बम निरोधक दस्ते मेला क्षेत्र में तैनात किए गए थे।
कोविड-19 के कारण एक माह की अवधि के लिए सीमित कर दिए गए महाकुंभ का यह तीसरा शाही स्नान था। इससे पहले एक मार्च को महाशिवरात्रि के मौके पर महाकुंभ का पहला तथा 12 अप्रैल को दूसरा शाही स्नान पड़ा था।
उधर, बुधवार को अखाड़ों के शाही स्नान के बाद मेला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी हरकी पैड़ी ब्रहमकुंड में गंगा स्नान किया।
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