रोगी के यकृत से दिल में पहुंच गया धातु स्टेंट, नौ घंटे की सर्जरी के बाद निकाला चिकित्सकों ने

By भाषा | Updated: October 29, 2021 18:04 IST2021-10-29T18:04:23+5:302021-10-29T18:04:23+5:30

The metal stent reached the heart from the patient's liver, doctors removed it after nine hours of surgery | रोगी के यकृत से दिल में पहुंच गया धातु स्टेंट, नौ घंटे की सर्जरी के बाद निकाला चिकित्सकों ने

रोगी के यकृत से दिल में पहुंच गया धातु स्टेंट, नौ घंटे की सर्जरी के बाद निकाला चिकित्सकों ने

नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर दिल्ली के एक प्रमुख निजी अस्पताल में 12 डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों की एक टीम ने 35 वर्षीय एक व्यक्ति की नौ घंटे की लंबी सर्जरी की, जिसका धातु स्टेंट यकृत से हृदय में चले जाने के कारण महाधमनी की शिरानाल (साइनस) टूट गई थी। अस्पताल ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

अस्पताल ने दावा किया कि चिकित्सकीय साहित्य के अनुसार स्टेंट यकृत से हृदय में चले जाने का पहले कोई मामला सामने नहीं आया था।

अस्पताल ने कहा कि सर्जरी के दौरान उसके दिल को एक बहुत ही उन्नत तकनीक का उपयोग करके बंद कर दिया गया था और धातु के स्टेंट को काटकर छोटा कर दिया। इससे उसकी महाधमनी का टूटना बंद हो गया और उसके हृदय की दाहिनी ओर के वाल्व की मरम्मत की गई। इस पूरी सर्जरी में लगभग नौ घंटे लगे और इसे 12 डॉक्टरों तथा पैरामेडिकल कर्मियों की एक टीम ने अंजाम दिया।

बयान में कहा गया है कि फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने उस पुरुष मरीज का ऑपरेशन किया, जिसकी धमनी की नली के अंदर एक बड़ा छेद विकसित हो गया था, जिसे 'एओर्टा' कहा जाता है। यह धातु के उस स्टेंट के कारण होता था, जिसे लीवर में एक नस के अंदर लगाया जाता है।

यह धातु स्टेंट धीरे-धीरे शिरा के माध्यम से यकृत से हृदय के दाहिने हिस्से में चला गया (जिसे दायां अलिंद कहा जाता है) और फिर इसने महाधमनी को तोड़ दिया।

धातु के स्टेंट को उसके 'इंफीरियर वेना कावा' (शरीर के निचले आधे हिस्से से रक्त प्राप्त करने के मुख्य हिस्से) के अंदर रखा गया था क्योंकि रोगी के जिगर में पहले 'बड चीरी' सिंड्रोम नामक स्थिति का पता चला था।

रोगी के हृदय की गति रुकने, यकृत में गड़बड़ी और कम प्लेटलेट के गंभीर लक्षण दिखाई दे रहे थे। उसकी सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि धातु का स्टेंट उसके दिल की नस में पूरी तरह से दब गया था।

इस सर्जरी में मुख्य चुनौतियों में सर्जरी के बाद दिल के फटने, अनियंत्रित रक्तस्राव और यकृत के काम बंद करने का बहुत अधिक जोखिम था। सामान्य तौर पर, इस प्रकार की सर्जरी में बचने की केवल 30 प्रतिशत संभावना होती है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी के निदेशक डॉ ऋत्विक राज भुइयां ने कहा, ''मरीज ने उपचार के लिए कई अस्पतालों चक्कर काटे। हालांकि, उसे इलाज से इनकार कर दिया गया था क्योंकि यह एक बहुत ही जटिल मामला था। वह बेचैनी, सांस फूलना और सीने में दर्द की शिकायतों के साथ हमारे पास आया था।''

डॉक्टर भुइंया ने कहा, ''हमने जांच की और पाया कि हृदय का दाहिना हिस्सा क्षतिग्रस्त था। हमने ऑपरेशन किया और दो सप्ताह के बाद रोगी को छुट्टी दे दी गई। उसने अपनी सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू कर दिया। प्रकाशित चिकित्सा साहित्य के अनुसार, ऐसी घटना पहले कभी नहीं हुई थी।''

डॉक्टर ने कहा कि चूंकि रोगी के यकृत और हृदय की कार्यप्रणाली बिगड़ गई थी, इसलिए उसे कम से कम तीन महीने के लिए कार्डियक रिहैबिलिटेशन की आवश्यकता होगी और उसे शराब, धूम्रपान से बचना तथा मध्यम मात्रा में तरल पदार्थ पीने की सलाह दी गई है।

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Web Title: The metal stent reached the heart from the patient's liver, doctors removed it after nine hours of surgery

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