लाइव न्यूज़ :

अबकी बार लौटा तो: कुंवर नारायण का जीवन और 'अयोध्या' समेत कुछ चुनिंदा कविताएं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 19, 2019 15:21 IST

कुंवर नारायण के कविता संग्रह में चक्रव्यूह, परिवेश: हम तुम, आत्मजयी, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों, वाजश्रवा के बहाने, हाशिये का गवाह प्रमुख हैं। उनकी रचनाओं का अनुवाद कई विदेशी भाषाओं में भी किया जा चुका है।

Open in App

जाने-माने कवि कुंवर नारायण का जन्म 9 सितंबर 1927 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में हुआ। उन्होंने कविता के अलावा कहानी एवं आलोचना विधाओं में लिखा। उनके कविता संग्रह में चक्रव्यूह, परिवेश: हम तुम, आत्मजयी, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों, वाजश्रवा के बहाने, हाशिये का गवाह प्रमुख हैं। उनकी रचनाओं का अनुवाद कई विदेशी भाषाओं में भी किया जा चुका है।

कुंवर नारायण अपने मौलिक विचारों के लिए पहचाने जाते हैं। उन्हें हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार, प्रेमचंद पुरस्कार, तुलसी पुरस्कार, केरल का कुमारन अशान पुरस्कार, व्यास सम्मान, श्लाका सम्मान हिंदी अकादमी दिल्ली, उ.प्र. हिंदी संस्थान पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, कबीर सम्मान किया जा चुका है। 90 साल की उम्र में 15 नवंबर 2017 को उन्होंने दिल्ली में आखिरी सांस ली।

कुंवर नारायण की 'अयोध्या 1992' कविता आज भी मौजूं है। पढ़िए, उनकी कुछ चुनिंदा कविताएं...

*****

हे राम,जीवन एक कटु यथार्थ हैऔर तुम एक महाकाव्य !

तुम्हारे बस की नहींउस अविवेक पर विजयजिसके दस बीस नहींअब लाखों सर - लाखों हाथ हैं,और विभीषण भी अबन जाने किसके साथ है.

इससे बड़ा क्या हो सकता हैहमारा दुर्भाग्यएक विवादित स्थल में सिमट कररह गया तुम्हारा साम्राज्य

अयोध्या इस समय तुम्हारी अयोध्या नहींयोद्धाओं की लंका है,'मानस' तुम्हारा 'चरित' नहींचुनाव का डंका है !

हे राम, कहां यह समयकहां तुम्हारा त्रेता युग,कहां तुम मर्यादा पुरुषोत्तमकहां यह नेता-युग !

सविनय निवेदन है प्रभु कि लौट जाओकिसी पुरान - किसी धर्मग्रन्थ मेंसकुशल सपत्नीक....अबके जंगल वो जंगल नहींजिनमें घूमा करते थे वाल्मीक!

*****इतना कुछ था दुनिया मेंलड़ने झगड़ने कोपर ऐसा मन मिलाकि ज़रा-से प्यार में डूबा रहाऔर जीवन बीत गया..।

*****अबकी बार लौटा तोबृहत्तर लौटूंगाचेहरे पर लगाए नोकदार मूँछें नहींकमर में बांधें लोहे की पूँछे नहींजगह दूंगा साथ चल रहे लोगों कोतरेर कर न देखूंगा उन्हेंभूखी शेर-आँखों सेअबकी बार लौटा तोमनुष्यतर लौटूंगाघर से निकलतेसड़को पर चलतेबसों पर चढ़तेट्रेनें पकड़तेजगह बेजगह कुचला पड़ापिद्दी-सा जानवर नहींअगर बचा रहा तोकृतज्ञतर लौटूंगाअबकी बार लौटा तोहताहत नहींसबके हिताहित को सोचतापूर्णतर लौटूंगा

*****

टॅग्स :बर्थडे स्पेशलकला एवं संस्कृति
Open in App

संबंधित खबरें

भारतIndira Gandhi Birth Anniversary 2025: आज है देश की पहली महिला प्रधानमंत्री का जन्मदिन, जानें 19 नवंबर की तारीख भारतीय इतिहास में क्यों खास?

बॉलीवुड चुस्कीShahrukh Khan Birthday: आज हैं शाहरुख खान का बर्थडे, टीवी से शुरु किया करियर और बन गए बॉलीवुड के बादशाह, जानिए

बॉलीवुड चुस्कीShah Rukh Khan’s 60th Birthday: आज 2 नवंबर को 60 साल के हुए शाहरुख खान, फिल्म दीवाना से बॉलीवुड में कदम रखा था...

विश्वलूव्र, मोनालिसा की चोरी और कला की वापसी के रूपक

भारत'उनका जीवन याद दिलाता है विनम्रता और कड़ी मेहनत...', पीएम मोदी ने ‘मिसाइल मैन’ को किया याद

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत