सरोगेट मां बनने के लिए इच्छुक दंपति का करीबी रिश्तेदार होना जरूरी नहीं : संसदीय समिति

By भाषा | Updated: February 6, 2020 14:06 IST2020-02-06T14:06:12+5:302020-02-06T14:06:12+5:30

सरोगेसी (नियमन) विधेयक 2019 पर राज्यसभा की 23 सदस्यीय प्रवर समिति ने सरोगेसी प्रक्रिया से जुड़े 15 प्रमुख बदलावों की सिफारिश की है। इनमें असुरक्षित यौन संबंध बनाने के पांच साल बाद गर्भधारण करने में अक्षमता के तौर पर बांझपन की परिभाषा को हटाने की सिफारिश भी शामिल है।

The couple desiring to become surrogate mothers does not have to be close relatives: Parliamentary committee | सरोगेट मां बनने के लिए इच्छुक दंपति का करीबी रिश्तेदार होना जरूरी नहीं : संसदीय समिति

सरोगेट मां के करीबी संबंधी होने की अनिवार्यता के संबंध में समिति ने कहा है कि इससे सरोगेट मांओं की उपलब्धता का दायरा सीमित हो जाता है।

Highlightsसंतानोत्पत्ति के इच्छुक दंपती के लिए पांच साल की यह अवधि बहुत ज्यादा है।समिति ने कहा है कि 35 साल से 45 साल तक की अकेले जीवनयापन कर रही महिलायें जिनमें विधवा, तलाकशुदा और अविवाहित भी शामिल हैं।

एक संसदीय पैनल ने संतानोत्पत्ति में अक्षम दंपतियों की खतिर सरोगेट मदर (किराये की कोख) की भूमिका निभाने वाली महिला का करीबी रिश्तेदार होने की अनिवार्यता को हटाने की सिफारिश करते हुये कहा है कि इसके लिए किसी भी इच्छुक महिला को अनुमति दी जानी चाहिए।

सरोगेसी (नियमन) विधेयक 2019 पर राज्यसभा की 23 सदस्यीय प्रवर समिति ने सरोगेसी प्रक्रिया से जुड़े 15 प्रमुख बदलावों की सिफारिश की है। इनमें असुरक्षित यौन संबंध बनाने के पांच साल बाद गर्भधारण करने में अक्षमता के तौर पर बांझपन की परिभाषा को हटाने की सिफारिश भी शामिल है। इसके लिए यह आधार बताया गया है कि संतानोत्पत्ति के इच्छुक दंपती के लिए पांच साल की यह अवधि बहुत ज्यादा है।

समिति ने कहा है कि 35 साल से 45 साल तक की अकेले जीवनयापन कर रही महिलायें जिनमें विधवा, तलाकशुदा और अविवाहित भी शामिल हैं, को सरोगेसी का लाभ लेने की अनुमति दी जा सकती है। सरोगेट मां के करीबी संबंधी होने की अनिवार्यता के संबंध में समिति ने कहा है कि इससे सरोगेट मांओं की उपलब्धता का दायरा सीमित हो जाता है।

इसके मद्देनजर समिति ने इस अनिवार्यता को विधेयक से हटाने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि ‘‘कानून के प्रावधानों के अनुसार, कोई भी इच्छुक महिला सरोगेट मां बन सकती है और उसे सरोगेसी प्रक्रिया से गुजरने की अनुमति दी जानी चाहिए।’’

समिति ने यह भी सुझाव दिया गया है कि सरोगेट मां के लिए बीमा कवर का दायरा प्रस्तावित 16 माह से बढ़ा कर 36 माह किया जाना चाहिए। सरोगेसी (नियमन) विधेयक 2019 अभी राज्यसभा से पारित नहीं हुआ है। यह विधेयक 21 नवंबर 2019 को राज्यसभा द्वारा प्रवर समिति के पास भेजा गया। इसके बाद से अब तक समिति की दस बैठकें हुईं। समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र यादव ने बुधवार को समिति की रिपोर्ट सदन पटल पर पेश की।

Web Title: The couple desiring to become surrogate mothers does not have to be close relatives: Parliamentary committee

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे