राणाघाट (पश्चिम बंगाल), 11 जनवरी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर चल रहे किसानों के आंदोलन के संबंध में भाजपा के ‘अड़ियल’ रवैये की वजह से देश खाद्य संकट एवं सूखे की ओर बढ़ रहा है।
ममता ने कहा कि दूसरे राजनीतिक दलों के ‘बेकार’ नेताओं को शामिल करके भाजपा ‘कबाड़’ पार्टी बन रही है।
उन्होंने सीएए, एनआरसी और एनपीआर के प्रति विरोध जताया और नदिया जिले की मतुआ आबादी का हवाला देते हुए कहा कि सभी शरणार्थियों को भूमि का अधिकार दिया जाएगा और कोई उन्हें देश से बाहर नहीं कर सकता। जिले में इस समुदाय की आबादी करीब 40 फीसदी है।
उन्होंने कहा, ‘‘देश खाद्य संकट की ओर बढ़ रहा है। अगर भाजपा कृषि कानूनों पर अड़ी रही तो हमारे देश में खाद्यान्न की कमी आ जाएगी। केंद्र इन कानूनों के जरिए देश में सूखे की स्थिति पैदा करने का प्रयास कर रही है। किसान हमारे देश की पूंजी हैं और हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जो उनके हितों के विरुद्ध हो।’’
तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने तीनों कृषि कानूनों को तत्काल वापस लिये जाने की भी मांग की। दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की भी यही मांग है।
उन्होंने नदिया जिले के राणाघाट में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम किसानों और उनकी मांगों के साथ हैं। एक तरफ भाजपा किसानों को लेकर हमें भाषण दे रही है और दूसरी तरफ यह कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को प्रताड़ित कर रही है। हरियाणा और पंजाब में कई किसानों को पीटा गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा देश की सबसे बड़ी कबाड़ पार्टी है। यह कचरा पार्टी है जो दूसरे दलों के भ्रष्ट और बेकार नेताओं से खुद को भर रही है।’’
ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘आपने कुछ (तृणमूल) नेताओं को भाजपा में जाते देखा होगा। उन्होंने लूटे हुए जनता के धन को बचाने के लिए ऐसा किया। भाजपा वाशिंग मशीन की तरह पार्टी को चलाती है, जहां भ्रष्ट नेता उसमें शामिल होते ही संत बन जाते हैं।’’
मुख्यमंत्री ने देश में आभाषी ''तानाशाही'' होने का आरोप लगाते हुए कहा कि भगवा दल धन या बाहुबल का उपयोग दूसरे दलों के नेताओं को अपने साथ मिलाने के लिए कर रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया, '' वे (भाजपा) मुझसे डरे हुए हैं क्योंकि मैंने उनके सामने घुटने नहीं टेके।''
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर निशाना साधते हुए बनर्जी ने कहा, '' राज्य की सभी शरणार्थी कालोनियों को पश्चिम बंगाल सरकार ने नियमित कर दिया है। प्रत्येक शरणार्थी परिवार को भूमि अधिकार प्रदान किया गया है। हमने इस संबंध में प्रक्रिया शुरू की है और कई परिवार इसका लाभ उठा चुके हैं।''
मतुआ समुदाय को लेकर उन्होंने कहा, '' आपको कोई यहां से नहीं हटा सकता। आप यहां पैदा हुए हैं और इस देश के नागरिक हैं। आपको अपनी नागरिकता साबित करने के लिए भाजपा के प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है। मैं आश्वस्त करना चाहती हूं कि आपको सीएए, एनआरसी और एनपीआर से डरने की जरूरत नहीं है।''
पूर्वी पाकिस्तान से संबंध रखने वाले मतुआ समुदाय के लोग बांग्लादेश के गठन के बाद पश्चिम बंगाल के हिस्सों में आ गए थे। इनमें से कई ने भारत की नागरिकता प्राप्त कर ली है जबकि काफी संख्या में इस समुदाय के लोगों के पास नागरिकता नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा, '' अन्य राज्यों से भाजपा नेता पैसों से भरा बैग ला रहे हैं। अगर ये आपकों पैसे की पेशकश करें तो आप ले लें लेकिन इनके लिए एक भी वोट नहीं डालें।''
उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं और हाल ही में अमेरिकी संसद भवन कैपिटल हिल में हिंसा करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों की तुलना करते हुए कहा, ‘‘जिस दिन भाजपा चुनाव हारेगी तो उसके कार्यकर्ता और समर्थक भी इसी तरह का बर्ताव करेंगे।’’
इस बीच, बनर्जी के आरोपों पर पलटवार करते हुए बंगाल की भाजपा इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि तृणमूल के नेता भी समझ गए हैं कि अब उनकी सरकार के गिने दिन बचे हैं।
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