नयी दिल्ली, 20 मार्च मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुनील अरोड़ा ने शनिवार को उम्मीद जतायी कि दूरस्थ मतदान की अवधारणा 2024 के लोकसभा चुनाव तक ‘‘मूर्त रूप लेगी।’’ अरोड़ा ने साथ ही कहा कि प्रायोगिक परियोजना अगले दो-तीन महीने में शुरू हो सकती है।
अरोड़ा ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने इस साल की शुरुआत में आईआईटी मद्रास, अन्य आईआईटी तथा अन्य प्रमुख संस्थानों के प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकीविदों के साथ मशिवरे से दूरस्थ मतदान को सक्षम बनाने के लिए एक शोध परियोजना शुरू की थी।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों से एक समर्पित टीम इस परियोजना को आकार देने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि यह अवधारणा 2024 के लोकसभा चुनावों तक मूर्त रूप लेगी।
सीईसी ने कहा कि पहली प्रायोगिक परियोजना अगले ‘‘दो से तीन महीनों में शुरू की जा सकती है।''
उन्होंने कहा कि यह रेखांकित किया जाना जरूरी है कि परियोजना का उद्देश्य न तो इंटरनेट आधारित मतदान है और न ही इसमें घर से मतदान शामिल है।
उन्होंने कहा कि आयोग के लिए मतदान की पारदर्शिता और गोपनीयता हमेशा स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनाव सुनिश्चित करने में एक मार्गदर्शक विचार रहा है। उन्होंने कहा कि आयोग जल्द ही विभिन्न विकल्पों पर विचार-विमर्श के बाद इस तरह के मतदान के अंतिम मॉडल को आकार देगा।
उन्होंने कहा कि कुछ प्रक्रियात्मक बदलाव भी होगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श होगा।
परियोजना में शामिल ‘‘ब्लॉकचेन’’ तकनीक के बारे में बताते हुए पूर्व वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त संदीप सक्सेना ने पहले कहा था कि यह अवधारणा बायोमेट्रिक उपकरणों और एक वेब कैमरा के साथ सक्षम समर्पित इंटरनेट लाइनों पर व्हाइट-लिस्टेड आईपी उपकरणों पर नियंत्रित माहौल में ‘‘दो-तरफ़ा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली है।’’
सक्सेना ने हालांकि यह स्पष्ट किया था कि मतदाताओं को इस सुविधा का उपयोग करने के लिए पूर्व निर्धारित अवधि के दौरान एक निर्दिष्ट स्थान पर पहुंचना होगा। सक्सेना ने कहा था कि इसका मतलब घर से मतदान नहीं है।
पात्र भारतीय विदेशी मतदाताओं को वोट डालने के लिए एकतरफा इलेक्ट्रॉनिक रूप से हस्तांतरित डाक मतपत्रों का उपयोग करने की अनुमति देने के आयोग के प्रस्ताव के मुद्दे पर अरोड़ा ने कहा कि पांच विधानसभाओं के चुनाव समाप्त होने के बाद आयोग सरकार द्वारा सुझाए गए सभी हितधारकों के साथ एक सेमिनार आयोजित करेगा।
उन्होंने उम्मीद जताई कि यह अवधारणा अगले छह महीने या एक साल में मूर्त रूप लेगी।
वर्तमान समय में अनिवासी भारतीय उस निर्वाचन क्षेत्र में मतदान कर सकते हैं जिसमें उनका वह निवास स्थान स्थित है, जिसका उल्लेख पासपोर्ट में किया गया है।
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