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आतंकियों ने भारत में हमले की साजिश रचने के लिए किए थे चाइनीज ड्रोन इस्तेमाल, भारी मात्रा में लेकर आए हथियार और गोला-बारूद

By रामदीप मिश्रा | Updated: September 25, 2019 14:29 IST

पंजाब के तरन तारन जिले के चोला साहिब गांव से आतंकवादी मॉड्यूल के पांच आतंकी 22 सितंबर को गिरफ्तार किये गए थे। उसने पूछताछ में सामने आया है कि आतंकियों ने जो ड्रोन इस्तेमाल किए वह चीन के हैं।

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ठळक मुद्देपंजाब पुलिस ने पाकिस्तान और जर्मनी आधारित खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेएफ) के आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था।पाकिस्तान से आतंकियों ने ड्रोन का इस्तेमाल कर पंजाब सहित जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने की साजिश रची।

पंजाब पुलिस ने पाकिस्तान और जर्मनी आधारित खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेएफ) के आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था। पाकिस्तान से आतंकियों ने ड्रोन का इस्तेमाल कर पंजाब सहित जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने की साजिश रची। सबसे बड़ी बात यह है कि आतंकियों ने विस्फोटक और हथियार ले जाने के लिए कम से कम आठ ड्रोन्स का इस्तेमाल किया, जोकि चीन के बताए जा रहे हैं। 

पंजाब के तरन तारन जिले के चोला साहिब गांव से आतंकवादी मॉड्यूल के पांच आतंकी 22 सितंबर को गिरफ्तार किये गए थे। उसने पूछताछ में सामने आया है कि आतंकियों ने जो ड्रोन इस्तेमाल किए वह चीन के हैं। चीन के एक ड्रोन से करीब दस किलो तक वजन लाया गया। कुल मिलाकर 80 किलो हथियार और गोला-बारूद लाए गए। 

जांच में पता चला है कि ड्रोन को पाकिस्तान से भेजा गया था, जिन्हें बॉर्डर से करीब दो किलो अंदर से उड़ाया गया था। ड्रोन ने  2,000 फीट की ऊंचाई पर पांच किलोमीटर की दूरी तय की, जिसके बाद 1200 फीट नीचे उतारा गया और फिर भारतीय क्षेत्र में हथियारों को गिराया गया।

बता दें पंजाब के तरन तारन जिले के चोला साहिब गांव से गिरफ्तार किये गए आतंकियों से पूछताछ में पता चला है कि पाकिस्तान के ड्रोन का इस्तेमाल कर हथियारों और कम्युनिकेशन हार्डवेयर गिराये गए थे। पांच एके 47 राइफल, 16 मैग्जीन और 472 चक्र कारतूस, चीन में निर्मित .30 बोर की चार पिस्तौल, आठ मैग्जीन और 72 चक्र कारतूस, नौ हथगोले, पांच सेटेलाइट फोन तथा उनके अन्य उपकरण, दो मोबाइल फोन, दो वायरलेस सेट तथा दस लाख रुपये मूल्य के जाली नोट बरामद किये गए थे। 

आतंकी समूह पंजाब और आसपास के राज्यों में हमले की एक श्रृंखला शुरू करने की साजिश कर रहा था। प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ था कि सीमा पार से हथियारों एवं कम्युनिकेशन हार्डवेयर की अपूर्ति के लिए ड्रोनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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