भारत-चीन सीमा पर तनावः ‘बंधक’ बनाए गए सैनिकों और अफसरों की रिहाई पर भारतीय सेना ने चुप्पी साधी
By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 19, 2020 03:03 PM2020-06-19T15:03:16+5:302020-06-19T15:03:16+5:30
खबरें कहती हैं कि 1962 के युद्ध के बाद पहली बार चीनी सेना ने सोमवार रात की खूरेंजी लड़ाई के दौरान ‘बंधक’ बनाए गए भारतीय सैनिकों में से 10 को कल तभी रिहा किया जब दोनों मुल्कों के बीच मेजर जनरल लेवल की बातचीत हुई।
जम्मूः सोमवार की रात को चीन सीमा पर गलवान वैली में दोनों सेनाओं के बीच हुई खूरेंजी झड़पों के बाद चीनी सेना द्वारा बंधक बनाए गए दो अफसरों व 8 जवानों की कल देर रात को हुई रिहाई पर भारतीय सेना ने खामोशी अख्तियार कर ली है। वह इन खबरों का न ही खंडन कर रही है न ही पुष्टि। हालांकि कल दोपहर को उसने एक बयान जारी कर दावा किया था कि कोई भारतीय सैनिक चीनी कब्जे में नहीं है।
पर मिलने वाली खबरें कहती हैं कि 1962 के युद्ध के बाद पहली बार चीनी सेना ने सोमवार रात की खूरेंजी लड़ाई के दौरान ‘बंधक’ बनाए गए भारतीय सैनिकों में से 10 को कल तभी रिहा किया जब दोनों मुल्कों के बीच मेजर जनरल लेवल की बातचीत हुई। बताया जाता है कि रिहा किए जाने वालों में भारतीय सेना के दो मेजर रैंक के अधिकारी भी शामिल हैं और 8 अन्य रैंक के हैं। याद रहे इस समाचार पत्र ने इसके प्रति खबर मंगलवार को ही दे दी थी कि चीनी सेना के कब्जे में भारतीय सेना के कुछ अफसर और जवान हैं।
फिलहाल इन खबरों की पुष्टि नहीं हो पाई है कि चीनी सेना द्वारा रिहा किए जाने वाले भारतीय सैनिकों को चोटें पहुंचाई गईं थीं या नहीं, पर स्वतंत्र सूत्र कहते हैं कि वे खूरेंजी झड़पों में जख्मी हुए थे। हालांकि एक खबर यह भी कहती है कि वे सोमवार की झड़प में चीनी इलाके में फंस गए थे और बाद में उन्हें उच्च स्तर की बातचीत के बाद वापस लाया गया।
इतना जरूर था कि भारतीय सेना ने दस अफसरों और जवानों की बंधक-रिहाई की खबरों पर मौन धारण कर लिया है। सूत्र कहते हैं कि इसकी स्वीकारोक्ति भारतीय सेना का मनोबल कम कर सकती है। पर भारतीय सेना अब अपने कल के उस वक्तव्य के प्रति भी नहीं टिकी हुई थी जिसमें कहा गया था कि चीनी सेना की हिरासत में कोई भारतीय सैनिक नहीं है। पर ताजा खबरें इसके प्रति कोई और ही दास्तान सुनाती थीं।