केवल जनता से जुड़ी आपात स्थिति या सुरक्षा के हित संबंधी मामले में ही टेलीफोन टैपिंग की जा सकतीः कोर्ट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 23, 2019 20:23 IST2019-10-23T20:23:54+5:302019-10-23T20:23:54+5:30

न्यायमूर्ति आर वी मोर और न्यायमूर्ति एन जे जमादार की खंडपीठ कारोबारी विनीत कुमार द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उसने अक्टूबर 2009 से फरवरी 2010 के बीच उसका फोन टैप करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा जारी तीन आदेशों को चुनौती दी थी।

Telephone tapping can be done only in case of emergency related to public or for security interest: Court | केवल जनता से जुड़ी आपात स्थिति या सुरक्षा के हित संबंधी मामले में ही टेलीफोन टैपिंग की जा सकतीः कोर्ट

इसने कहा, ‘‘अगर दोनों में से कोई स्थिति न हो तो टेलीफोन टैपिंग की अनुमति नहीं दी जा सकती।’’

Highlightsअदालत ने रिश्वत के मामले में सीबीआई द्वारा नामजद एक कारोबारी का फोन टैप करने के केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेशों को निरस्त कर दिया।‘‘हमारा मत है कि टेलीग्राफ की धारा 5(2) के अनुरूप या तो जनता से जुड़ी किसी आपात स्थिति या फिर जनता की सुरक्षा के हित संबंधी मामले में ही फोन टैपिंग का आदेश दिया जा सकता है।’’

बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को व्यवस्था दी कि केवल जनता से जुड़ी आपात स्थिति या जनता की सुरक्षा के हित संबंधी मामले में ही टेलीफोन टैपिंग की जा सकती है।

इसके साथ ही अदालत ने रिश्वत के मामले में सीबीआई द्वारा नामजद एक कारोबारी का फोन टैप करने के केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेशों को निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति आर वी मोर और न्यायमूर्ति एन जे जमादार की खंडपीठ कारोबारी विनीत कुमार द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उसने अक्टूबर 2009 से फरवरी 2010 के बीच उसका फोन टैप करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा जारी तीन आदेशों को चुनौती दी थी।

कुमार के वकीलों- विक्रम ननकानी और सुजय कांतवाला ने दलील दी कि फोन टैप करने के आदेश टेलीग्राफ कानून के प्रावधानों और संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। कर्ज प्राप्ति में मदद के लिए एक बैंक अधिकारी को 10 लाख रुपये की रिश्वत देने के आरोप में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने वर्ष 2011 में कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मत है कि टेलीग्राफ की धारा 5(2) के अनुरूप या तो जनता से जुड़ी किसी आपात स्थिति या फिर जनता की सुरक्षा के हित संबंधी मामले में ही फोन टैपिंग का आदेश दिया जा सकता है।’’ इसने कहा, ‘‘अगर दोनों में से कोई स्थिति न हो तो टेलीफोन टैपिंग की अनुमति नहीं दी जा सकती।’’

पीठ ने कहा, चूंकि फोन टैपिंग के आदेश कानून के प्रावधानों के विपरीत दिए गए, इसलिए टैप किए गए संबंधित संदेशों को नष्ट करना होगा। अदालत ने हालांकि कहा कि वह याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं कर रही है। 

Web Title: Telephone tapping can be done only in case of emergency related to public or for security interest: Court

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