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तेलंगाना में सत्ता में आने पर अल्पसंख्यक आरक्षण समाप्त करेगी भाजपा, कहा- SC-ST-OBC को देंगे लाभ

By भाषा | Updated: May 26, 2022 06:50 IST

भारतीय जनता पार्टी की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष और सांसद बी. संजय कुमार ने धर्म परिवर्तन और “लव जिहाद” के विरुद्ध काम करने के प्रति भी संकल्प जताया। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जो लोग ‘लव जिहाद’ का नाम लेंगे उन्हें लाठी मिले।

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ठळक मुद्देशाह ने भी कहा था कि धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक आरक्षण एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण को प्रभावित करता है।टीआरएस नौकरियों और शिक्षा में मुसलमानों के लिए 12 फीसदी आरक्षण लाने का प्रस्ताव लाई है।कुमार ने धर्म परिवर्तन और “लव जिहाद” के विरुद्ध काम करने के प्रति भी संकल्प जताया।

हैदराबाद: भारतीय जनता पार्टी की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष और सांसद बी. संजय कुमार ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी जब राज्य में सत्ता में आएगी तो वह अल्पसंख्यक आरक्षण को समाप्त कर देगी और इसका लाभ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य वर्गों को दिया जाएगा।

कुमार ने धर्म परिवर्तन और “लव जिहाद” के विरुद्ध काम करने के प्रति भी संकल्प जताया। उन्होंने कहा, “हमारी बहनों को ‘लव जिहाद’ के नाम पर फंसाया जा रहा है और धोखा दिया जा रहा है तो हम क्या चुप रहें। अगर गरीबों को धर्म परिवर्तन करने पर मजबूर किया जाएगा तो हिंदू समाज बर्दाश्त नहीं करेगा।”

उन्होंने करीमनगर में हिन्दू एकता यात्रा के दौरान कहा, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जो लोग ‘लव जिहाद’ का नाम लेंगे उन्हें लाठी मिले। हम धर्म परिवर्तन कराने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करेंगे।”

इसी महीने राज्य के दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा था कि धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक आरक्षण एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण को प्रभावित करता है। हम अल्पसंख्यक आरक्षण खत्म करेंगे और एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण बढ़ाएंगे।

दरअसल, सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), नौकरियों और शिक्षा में मुसलमानों के लिए 12 फीसदी आरक्षण लाने के लिए, राज्य की आबादी में उनके प्रतिशत के अनुपात में इसे वर्तमान 4 फीसदी से बढ़ाने का प्रस्ताव लेकर आ रही है।

टीआरएस ने 2014 के चुनाव में वादा किया था। अप्रैल 2017 में, तेलंगाना विधानसभा ने मुसलमानों के लिए 4 फीसदी से 12 फीसदी और अनुसूचित जनजातियों के लिए 6 फीसदी से 10 फीसदी तक आरक्षण बढ़ाने के लिए एक विधेयक पारित किया। विधेयक को मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा गया था।

हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों ने धर्म आधारित आरक्षण पर आपत्ति जताते हुए अतीत में इस कदम की आलोचना की थाी।

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